मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 28 नवंबर 2012

सब्सिडी खाते में

                   केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह से विभिन्न योजनाओं में बहुत बड़े स्तर पर सब्सिडी दी जाती है जसका उद्देश्य उन लोगों को मंहगाई से बचाने के लिए कुछ समर्थन देना होता है जो बाज़ार के मूल्य पर कुछ उपभोक्ता वस्तुओं को नहीं खरीद सकते हैं पर वे इतनी आवश्यकता वाली वस्तुएं भी होती हैं कि उनके बिना जीना मुश्किल भी होता है. इसके साथ ही कृषि और सामजिक सरोकारों से जुड़े विषयों के लिए भी सरकार की तरफ से विभिन्न मदों में सब्सिडी का भुगतान किया जाता है पर भी तक देश में इसका जो स्वरुप चला आ रहा है उससे केवल भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलता रहा है और इससे बचने के लिए केंद्र सरकार ने जिस तरह से सभी तरह की सब्सिडी को चरण बद्ध तरीके सीधे लाभार्थी के खाते में भेजने और २०१३ के अंत तक पूरे देश में लागू करने की जो योजना तैयार की है उससे वास्तव में सब्सिडी के हक़दार लोगों को राहत मिलने के आसार बढ़ गए हैं. अभी तक जिस तरह से केंद्र सरकार के पास राजस्व ही इतना नहीं जुट पाता था कि वह इस तरह की कोई बहुत बड़ी योजना पर अपना हाथ रख सके पर पिछले कुछ दशकों में देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आने और कर संग्रह ढांचे में सख्ती के साथ बदलाव के कारण सरकार के पास बेहतर राजस्व आने लगा है जिससे भी अब वह इस तरह की योजनाओं के लिए व्यवस्था का पाने में सक्षम हो पा रही है.
             देश को किसी भी स्थिति में अब इस तरह के संगठित भ्रष्टाचार से मुक्ति पानी ही होगी क्योंकि इससे दो तरह के नुकसान होते हैं पहला जहाँ सरकार के खातों से पैसा तो निर्गत हो जाता है पर उसे सही जगह तक पहुँचाने में वह सफल नहीं हो पाती है दूसरा जिस उद्देश्य के साथ यह पैसा या योजना चलायी जाती है वह भी भ्रष्टाचारियों के कारण सही लोगों तक नहीं पहुँच पाता है. इस तरह की परियोजना को केंद्र स्तर पर लागू होने और सफल होने के बाद राज्यों को भी इस बात के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे वे भी अपनी योजनाओं के लिए ऐसी ही व्यवस्था अपना सकें और कई स्तरों पर पनपने वाले भ्रष्टाचार को भी रोका जा सके. यह एक ऐसी योजना है जो ग्रामीण गारंटी योजना की तरह देश के दूर दराज़ के स्थानों में रहने वालों के जीवन स्तर को सुधारने का काम तेज़ी और सम्पूर्णता के साथ आकर भ्रष्टाचार रोकने में सक्षम हो सकती है. आज आवश्यकता इस बात की है कि इसमें किसी तरह की राजनीति न की जाये और इसका अभी तक की योजना के अनुरूप २०१३ तक क्रियान्वयन करने के बारे में एक कारगर रोडमैप भी बनाया जाये साथ ही इस पूरी व्यवस्था की समीक्षा भी की जाये जिससे यह समय रहते मूर्त रूप ले सके.
                 आज भी देश में शिक्षा का जो स्तर है उसमें सब्सिडी प्राप्त करने वाले लाभार्थी को अपने खाते का परिचालन करना ही नहीं आता है और खाते से लेन देन करने के लिए उसे किसी पर निर्भर होना पड़ेगा जिस स्थिति में उसको धन का सही तरह से नियमन कर पाने में मुश्किल भी हो सकती है. मनरेगा में जिस तरह से अनपढ़ लोगों के एटीएम का सञ्चालन ग्राम प्रधान या उसका कोई आदमी आज के समय में करके पूरी धनराशि में से कुछ हिस्सा अपने पास ही रख लेता है उससे क्या सरकार की इस योजना की मंशा पूरी हो पाती है ? भ्रष्टाचार के जिस स्वरुप की बात करते करते हम आज अपने आस-पास फैलने वाले भ्रष्टाचार को नज़रन्दाज़ करते रहते हैं क्या वह रोज़ ही छोटे छोटे घोटालों के रूप में एक महाघोटाला नहीं करता है ? देश के विभिन्न कार्यालयों और अन्य स्थानों पर चलने वाली इस समानांतर अर्थव्यवस्था पर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता है क्यों नहीं सामाजिक संगठन और कार्यकर्त्ता इस पर चोट करते हैं और सही लोगों तक देश के संसाधनों को पहुँचाने का काम करते हैं ? यह सही है कि  सरकार इस योजना से २०१४ के आम चुनावों में लाभ उठाने की कोशिश करेगी पर विपक्ष का सरकार पर जनता को रिश्वत देने का आरोप भी बहुत बेतुका है क्योंकि किसी भी तरह से देश के कर संग्रह ढांचे में सुधार और सब्सिडी के मसले पर कोई बात करना मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा ही है क्योंकि कोई भी दल किसी दूसरे को किसी सुधार का श्रेय लेते हुए नहीं देख सकता है भले ही उससे देश के आम लोगों को कितना ही नुकसान क्यों न झेलना पड़े ?       
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