मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

फ़ोन और गोपनीयता

                         भाजपा नेता अरुण जेटली के फ़ोन की अनधिकृत कॉल विवरण हासिल करने से जुड़ी बातें सार्वजनिक होने के बाद जिस तरह से इस बारे में अचनक ही दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गयी है उससे यही लगता है कि जब देश में इतने बड़े नेता के फ़ोन का विवरण हासिल किया जा सकता है तो मोबाइल कम्पनियों द्वारा बिना किसी जांच पड़ताल के और भी क्या क्या किया जा रहा है आसानी से समझा जा सकता है. अभी तक सरकार पर यह आरोप लगा करते थे कि उसने विपक्षियों के फ़ोन विवरण देखे या फिर उनकी कॉल्स भी रिकॉर्ड करवाईं पर अपनी तरह के इस अनूठे मामले में जिस तरह से निजी जासूसों ने एक पुलिस कर्मी के साथ मिलकर इतने बड़े स्तर पर प्रयास किये वे अपने आप में गंभीर चिंता का विषय हैं क्योंकि कल को कोई भी इसी तरह से कानून के पीछे छिपकर किसी अधिकारी की फर्जी आईडी का दुरूपयोग कर किसी भी तरह की जानकारी को मोबाइल कम्पनियों से हासिल कर सकता है ? आम आदमी के फ़ोन के टेप होने से किसी को भी कोई अंतर नहीं पड़ता पर जिस तरह से इस बार नेताओं को निशाने पर लिया गया है वह दिल्ली पुलिस के अनुसार किसी बड़ी साज़िश का भी हिस्सा हो सकता है.
              अब जिस तरह से दिल्ली पुलिस द्वारा आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी शामिल हो सकते हैं उससे मामला और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि किसी भी एक सिपाही और किसी निजी जासूस के पास इतने अधिकार कहीं से आ गए कि वे देश की सुरक्षा व्यवस्था में ही सेंध लगाने में जुट गए ? आज जिस तेज़ी से रोज़ ही नई तकनीक आती जा रही है उस स्थिति में यदि हम अपेन आपको इसके लिए पूरी तरह से तैयार करने के बारे में नहीं सोचेंगें तो आने वाले समय में हमारे लिए कहीं भी करने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा क्योंकि इन्टरनेट के माध्यम से कल कोई विदेशों में बैठकर ही हमारी सुरक्षा और नेताओं के बारे में इसी तरह से जानकारी हासिल कर लेगा और जब तक उसका पता चलेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. हो सकता है कि अपराधियों ने केवल चेक करने के लिए ही अरुण जेटली के फ़ोन के विवरण हसिल किये हों और इसमें पूरी तरह से सफल हो जाने के बाद वे अन्य किसी सैन्य/ प्रशासनिक अधिकारी या नेता के फ़ोन का भी इसी तरह से विवरण हासिल करने का प्रयास करते ?
              इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए अब हमें अप्पने कानूनों में सख्ती लाने चाहिए और किसी भी तरह के कॉल विवरण को हासिल करने के लिए इसकी पुष्टि उच्च अधिकारियों के स्तर से किये जाने के बाद ही उसे किसी को उपलब्ध कराया जाना चाहिए क्योंकि आज के समय में जो भी तंत्र काम कर रहा है वह अपनी कुशलता में असफल रहा है और किसी भी एक व्यक्ति के लालच से पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था को किस तरह से आसानी से खोखला किया जा सकता है यह भी सभी को पता चल गया है. इस पूरे प्रकरण में एक बात अच्छी हुई है कि इसे गंभीरता के साथ लिया गया है और भाजपा ने भी इसके लिए पुलिस जांच की रिपोर्ट आने तक प्रतीक्षा करने की नीति पर चलने की घोषणा की है जिससे मुख्य मुद्दे से दिल्ली पुलिस का ध्यान नहीं भटकेगा और वह और भी तत्परता से बिना किसी अनावश्यक राजनैतिक दबाव के भी अपने काम को पूरा कर सकेगी. फिलहाल यह मुद्दा जिस तरह से खुलकर सामने आ गया है उस स्थिति में अब आने वाले समय में इसको किसी नतीज़े तक पहुँचाने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि इसे किसी भी तरह से छोड़ देने से आने वाले समय में देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर ख़तरे उत्पन्न हो सकते हैं.    
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