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शनिवार, 30 मार्च 2013

बैंकों की उपलब्धता

                                यूपी में एक साथ देश के नौ प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंकों की ३०० शाखाओं के उद्घाटन के अवसर पर लखनऊ में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जिस तरह से देश में बैंकों को बढ़ती आबादी के अनुसार खोलने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया वह आज के समय में बहुत ही आवश्यक है. केंद्र और राज्य सरकारों ने जिस तरह से अपने हर काम को बैंकों के माध्यम से ही करने की तरफ़ बढ़ना शुरू कर दिया है उसके बाद से अब यह चुनौती वित्त मंत्रालय के साथ बैंकों के प्रबंधन पर भी आ गयी है कि वे जनता की आवश्यकता के अनुरूप बैंकों की शाखाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें. इस अवसर पर चिदंबरम ने यह भी कहा कि यूपी में इन बैंकों को मार्च २०१४ तक ३००० शाखाओं को खोलने का लक्ष्य प्राप्त करना है और इसी क्रम में इन शाखाओं का उद्घाटन किया गया है. यूपी के परिदृश्य में एक और महत्वपूर्ण घोषणा जो चिदंबरम द्वारा की गयी कि इन सभी बैंकों में शाखा खुलने के साथ ही एटीएम की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी जिससे यहाँ की धन उपलब्धता की एक बड़ी समस्या समाप्त हो जाएगी.
                                देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में इस तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की हर कोशिश को चरण बद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता है क्योंकि आने वाले समय में जब केंद्र और राज्य सरकार की वित्तीय मदद वाली हर योजना का आर्थिक जुड़ाव किसी न किसी तरह से बैंकों से ही हो जायेगा तब इन बैंकों की कमी बहुत खलेगी और किसी भी परिस्थिति में जब इनकी आवश्यकता होगी तो बैंक खोलने में आने वाली आवश्यकताओं को पूरा करने की बाध्यता के कारण भी इन्हें तेज़ी से नहीं खोल जा सकेगा. विकास के आयामों को तेज़ी से प्राप्त करने और आर्थिक प्रगति के लिए आने वाले समय में बैंकों का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है. आज यूपी के किसी भी बैंक में एक जैसा माहौल ही होता है क्योंकि विभिन्न तरह की सरकारी योजनाओं को बैंकों के माध्यम से ही जोड़ा जा रहा है तो उस स्थिति में इन योजनाओं के लिए बैंकों के पास कर्मचारियों की कमी हो रही है और साथ ही बैंकों के सामान्य आर्थिक, व्यावसायिक परिचालन पर भी बुरा असर पड़ रहा है. केवल शाखाओं को खोलने से ही सारी समस्या का अंत नहीं हो सकता है इनमें कर्मचारियों के अनुपात के बारे में भी वित्त मंत्रालय को निरंतर निगरानी करनी होगी तभी इन बैंकों को खोलने का सही मतलब निकलेगा.
                               कानून व्यवस्था के मोर्चे पर बदनाम यूपी में जिस तरह से बैंकों और एटीएम से पैसे निकाल कर वापस जाने वाले आम नागरिकों को लूटा जाता है उस पर भी नयी शाखाओं से अंकुश लग सकेगा क्योंकि वर्तमान में जिस तरह से एटीएम और बैंक आम लोगों की पहुँच से बाहर ही हैं उससे निपटने के लिए किसी भी शाखा को खोलते समय असेवित क्षेत्र का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होगा क्योंकि जब तक शाखाओं की संख्या पूरी होने के साथ सामान्य पहुँच में नहीं होगी तब तक बैंकों से आर्थिक लेन देन करने वालों के लिए इस तरह का ख़तरा हमेशा ही बना रहेगा. बड़े बैंकों को प्रदेश की वास्तविक आवश्यकता का आंकलन करना ही होगा. यूपी जैसे प्रदेश में लीड बैंक की विशेष सुविधाएँ समाप्त कर दी जानी चाहिए क्योंकि अधिकांश जिलों में ये लीड बैंक आम ग्राहकों के लिए अपनी ख़राब सेवाओं के चलते सर दर्द बने हुए हैं और अन्य बैंकों को अपने परिचालन को शुरू करने के लिए जिस तरह से इन बैंकों पर निर्भर रहना पड़ता है वह भी किसी भी दशा में प्रदेश और देश के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है. उपलब्धता और कार्यशैली में समय रहते उचित बदलाव के बारे में सोचते हुए ही किसी बेहतर परिणाम के सपने देखे जा सकते हैं वरना यह भी महज़ खाना पूरी ही बनकर रह जाने वाली कवायद ही साबित होगी.    
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