मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 21 जुलाई 2014

पाक सीमा पर अशांति

                                                            जम्मू क्षेत्र में पिछले कई दिनों से जिस तरह से पाक ने ग्रामीण इलाकों में लगातार गोलीबारी जारी रखी हुई है और भारत सरकार की तरफ से इस बड़े में कोई बड़े कदम नहीं उठाये जा रहे हैं वह अपने आप में चिंता की बात है क्योंकि अभी तक पाक केवल सैनिकों को ही निशाना बनाया करता था पर इस बार उसने रणनीति में बदलाव करते हुए सीमा पर बसे गाँवों पर हमले करने शुरू किये हैं जिससे मवेशियों को बहुत नुकसान पहुंचा है और संयोग से अभी तक किसी नागरिक की जान नहीं गयी है. जम्मू में सीमा पर बसे हुए लोगों को इस राजग सरकार से बहुत उम्मीदें थी क्योंकि उसके नेता चुनावों के समय अक्सर ही पाक को लेकर काफी भड़काने वाली भाषा का इस्तेमाल किया करते थे जिससे इस क्षेत्र में भाजपा को जनता का पूरा समर्थन भी मिला पर अब सरकार बनने के बाद भी यहाँ पर स्थिति में कोई परिवर्तन न महसूस होने से लोगों की समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं.
                                                          यह अपने आप में स्थापित सत्य है कि पाक के लिए इस बारिश के महीने में सर्दियों के शुरू होने से पहले जम्मू क्षेत्र से घुसपैठ करना आसान होता है क्योंकि पीर पंजाल के पार की अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण रेखा पर जिस तरह से पिछले दशक में निगरानी बहुत ही कड़ी हो चुकी है तो वहां से आतंकियों को अंदर भेज पाना एक तरह से असंभव सा होता जा रहा है तो बारिश के मौसम का लाभ उठकर पाक आतंकियों को राज्य में प्रवेश कराता रहता है. पाक इस तरह की गोलाबारी सदैव ही सीमा पर तैनात जवानों के ध्यान को भटकाने के लिए ही किया करता है जिससे वह आतंकियों को आसान मार्गों से भारत में भेजने में सफल हो सके. पाक की नियति हमेशा की तरह ही गन्दी रही है और वह केवल कश्मीर को भारत से अलग करने के सपने ही देखा करता है जबकि उसके यहाँ पूरे पाक में चरमपंथियों के प्रति सहानुभूति होने के कारण आज सुरक्षा सम्बन्धी बहुत बड़ी घरेलू समस्या उत्पन्न हो चुकी है.
                                                            इस मसले पर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्लाह ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि वह पीएम स्तर पर पाक से बात करे और इस मामले को सुलझाने का प्रयास करे. भारत सरकार के पास केवल दो विकल्प ही शेष रहते हैं कि या तो वह पाक के राजदूत को बुलाकर बात करे या फिर सेना को खुली छूट दे कर जवाब देने के लिए अधिकृत कर दे ? जिस तरह से नवाज़ शरीफ ने नयी सरकार के शपथ ग्रहण में आकर गर्मजोशी दिखाई थी उससे लगने लगा था कि इस बार संभवतः पाक कुछ कायदे से रहेगा और इस तरह की अनावश्यक गोलीबारी और आतंकियों को भारत भेजने पर कुछ रोक लगाने के बारे में भी सोचेगा पर पाक की नियति ही ठीक नहीं है तो किसी भी सरकार के आने जाने से उसकी सेहत पर कोई अंतर नहीं पड़ता है. राजनैतिक रूप से भले ही पाक भारत के नज़दीक आ जाये पर सैन्य स्तर पर पाक के साथ संघर्ष की लम्बी सीमा पर सेना की सोच बदले बिना शांति स्थापित करने में किसी भी तरह की प्रगति नहीं हो सकती है.
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