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शनिवार, 27 अगस्त 2016

स्कॉर्पीन लीक का असर

                                                             देश की नौसेना के लिए भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए खरीदी जा रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी लीक होने के बाद केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय की तरफ से इसे बहुत ही हलके में लिया गया वह चिंता का विषय भी है क्योंकि नौसेना की सामरिक तैयारियों में हमारी पनडुब्बियों के साथ लगातार होने वाले हादसों के बाद हमारी समुद्री ताकत कमज़ोर होती जा रही है और भविष्य की तैयारियों के लिए बेड़े में शामिल की जाने वाली इन महत्वपूर्ण पनडुब्बियों की जानकारी इस तरह से पूरी दुनिया के सामने आने के बाद हमारी ताकत पर असर पड़ना अवश्यम्भावी है भले ही सरकार कुछ भी कहती रहे. हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह जानकारी किस स्तर और किस देश से लीक हुई है पर इसके सार्वजनिक होने से भारत की रक्षा तैयारियों पर बुरा असर अवश्य ही पड़ने वाला है क्योंकि इस पनडुब्बी के माध्यम से हम अपनी समुद्री सामरिक ताकत को बढ़ाने की कोशिशों में लगे हुए है.
                         लीक दस्तावेजों के बारे में बात करते हुए ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने जिस तरह से भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बयानों से असहमति दिखाई है उससे लगता है कि या तो भारत सरकार और रक्षा मंत्री को पूरी बात नहीं बतायी गयी है या फिर वे जानबूझकर इस मामले को हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं ? मोदी सरकार के सामने रक्षा मामलों में इस तरह से सेंध लगने का यह पहला मामला है पर सरकार को इससे जिस तरह से निपटना चाहिए था वैसा दिखाई नहीं दे रहा है संभवतः अंदरूनी तौर पर सरकार सब जान चुकी हो पर नौ सेना और देश के मनोबल को बनाये रखने के लिए ही इस तरह की बयानबाज़ी की जा रही हो. ऑस्ट्रेलिया के पत्रकार ने जिस तरह से संवेदनशील जानकारियां लीक होने के बारे में भी कहा है उससे लगता है कि कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ी अवश्य ही हुई है क्योंकि भारत सरकार के स्वीकार करने या न करने से तथ्य बदलने वाले भी नहीं हैं. हालाँकि इस मामले में संतोष की बात यही है कि पत्रकार की तरफ से यह कहा जा रहा है कि वह ऐसी कोई भी जानकारी सार्वजानिक नहीं करेगा जिससे स्कॉर्पीन की विस्तृत जानकारी मिल सकती हो पर भारत के रक्षा मंत्री के उस दावे को गलत साबित करने के लिए वह उन तथ्यों को छिपाकर कुछ दस्तावेज़ सार्वजानिक करेगा जिससे यह पता चले कि सारी जानकारी लीक हो चुकी है.
                       भारत जिस तरह से आने वाले समय में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के साथ हिन्द महासागर में भी अपनी नौसेना की प्रभावी उपस्थिति चाहता है उसमें यह लीक मामला काफी समस्या पैदा कर सकता है क्योंकि हमारी महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक हो जाने के बाद हमारी गतिविधि और मारक क्षमता के बारे में सभी को पता चल जाने वाला है. उग्र राष्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह से पहले से ही चल रही तैयारियों में मोदी सरकार का रवैया रहा करता है तो वह नागरिकों के उत्साहवर्धन के लिए राजनैतिक तौर पर तो ठीक कहा जा सकता है पर उसके बहुत सारे दुष्परिणाम भी होते हैं. अच्छा होता की पूरे मामले की जानकारी सामने आने तक रक्षा मंत्री चुप ही रहते और किसी प्रवक्ता से एक बयान दिलवा कर सरकार का रुख स्पष्ट करवा देते पर अब सरकार और रक्षा मंत्री के दावों को झूठ साबित करने के लिए जो जानकरियां सामने आने वाली हैं उन पर पूरे विश्व की नज़र रहने वाली है और खासकर चीन तथा पाकिस्तान इन जानकारियों को बहुत उत्सुकता से देखने वाले हैं क्योंकि भारत के रक्षा मामलों से जुडी अधिकतम जानकारी आने वाले समय में उन्हें भारत के इन सामरिक उपकरणों से निपटने के लिए मज़बूत आधार भी प्रदान कर सकते हैं.     
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