आज इंटरनेट के युग में जब पढाई से लेकर मंत्रिमंडल की बैठक तक की सारी बातें केवल इंटरनेट के माध्यम से करने की कोशिशें की जा रही हैं तो उस समय आम जनता से लेकर विभिन्न सरकारी कामों तक में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऍप्लिकेशन्स का उपयोग किया जा रहा है. पिछले दिनों देश में बहुत लोकप्रिय हो रहे ज़ूम ऍप में निजता से जुड़े कुछ मामले सामने आने के बाद सरकार तक ने यह कह दिया कि इसके उपयोग से बचें। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कोरोना जैसे संकट में आखिर आम भारतीय एक दूसरे से किस तरह से सुरक्षित संवाद करे जिससे सभी के लिए एक सुरक्षित मंच उपलब्ध हो सके ? दुनिया भर में भारतीय आईटी विशेषज्ञों का जो हल्ला मचा हुआ है उससे देश को क्या कोई लाभ मिल रहा है ? एक समय भारत के अपने लिनक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की बातें खूब हुई थीं पर उसका क्या हुआ यह आज किसी को पता नहीं है ?
क्या भारतीय मेधा सिर्फ विदेशी कंपनियों में काम करने के लिए ही उपयुक्त है ? क्या कुछ ऐसा नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में भारत के खुद के उपयोग के लिए कुछ मूलभूत प्लेटफॉर्म्स बनाये जाएँ जिससे गोपनीयता का मामला भी सामने न आये और विदेशी संस्करणों से होने वाली जो आय देश के बाहर चली जाती है उस पर भी विराम लगाया जा सके. इस बारे में सरकार कुछ सोचना ही नहीं चाहती उसके पास सिर्फ खोखले नारे ही हैं. आज जब अधिकांश कार्यालयों में सूचनाओं का आदान प्रदान ई-मेल के माध्यम से होने लगा है तब भी हर सरकारी कार्यालय या अधिकारियों के पास एनआईसी की मेल आईडी तक नहीं है और वे विभिन्न कंपनियों की मेल आईडी से काम चला रहे हैं. क्या देश को एक मज़बूत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की आवश्यकता नहीं है जिसके माध्यम से हम अपने कामों को चीन की तरह कर सकें।
इस तरफ सोचने का सारा दारोमदार अब निजी क्षेत्र की कंपनियों पर ही जाता है क्योंकि मोदी सरकार हर क्षेत्र में विनिवेश की तरफ बढ़ रही है तो उस से ऐसे किसी प्रोजेक्ट पर काम करने की आशा नहीं की जा सकती है जहाँ बड़े निवेश की आवश्यकता है. आज विप्रो, टाटा, एचसीएल, टेक महिंद्रा और रिलायंस जैसी कंपनियां इस दिशा में ठोस कदम उठा सकती हैं क्योंकि इनके पास आईटी पेशेवरों की संख्या और अनुभव भी है. यहाँ एक बात और समझने की है कि जो कुछ भी बनाया जाये उसमें किसी प्रचलित प्लेटफॉर्म की नकल करने के स्थान पर उसे नए सिरे से शुरू करने के बारे में गंभीरता से सोचा जाए. देश की ज़रूरतों के अनुरूप बने इस मंच से जहाँ एक तरफ लोगों को सहायता मिलेगी वहीं देश से बाहर जाने वाले धन प्रवाह को भी रोका जा सकेगा। कम से कम इस दिशा में अब गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है क्योंकि आने वाले समय में कोई ऐसा संकट भी आ सकता है जिससे सीधे तौर पर सिर्फ इंटरनेट पर ही लड़ा जाये तो हमारे पास उपलब्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अनुपलब्ध भी हो सकते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
क्या भारतीय मेधा सिर्फ विदेशी कंपनियों में काम करने के लिए ही उपयुक्त है ? क्या कुछ ऐसा नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में भारत के खुद के उपयोग के लिए कुछ मूलभूत प्लेटफॉर्म्स बनाये जाएँ जिससे गोपनीयता का मामला भी सामने न आये और विदेशी संस्करणों से होने वाली जो आय देश के बाहर चली जाती है उस पर भी विराम लगाया जा सके. इस बारे में सरकार कुछ सोचना ही नहीं चाहती उसके पास सिर्फ खोखले नारे ही हैं. आज जब अधिकांश कार्यालयों में सूचनाओं का आदान प्रदान ई-मेल के माध्यम से होने लगा है तब भी हर सरकारी कार्यालय या अधिकारियों के पास एनआईसी की मेल आईडी तक नहीं है और वे विभिन्न कंपनियों की मेल आईडी से काम चला रहे हैं. क्या देश को एक मज़बूत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की आवश्यकता नहीं है जिसके माध्यम से हम अपने कामों को चीन की तरह कर सकें।
इस तरफ सोचने का सारा दारोमदार अब निजी क्षेत्र की कंपनियों पर ही जाता है क्योंकि मोदी सरकार हर क्षेत्र में विनिवेश की तरफ बढ़ रही है तो उस से ऐसे किसी प्रोजेक्ट पर काम करने की आशा नहीं की जा सकती है जहाँ बड़े निवेश की आवश्यकता है. आज विप्रो, टाटा, एचसीएल, टेक महिंद्रा और रिलायंस जैसी कंपनियां इस दिशा में ठोस कदम उठा सकती हैं क्योंकि इनके पास आईटी पेशेवरों की संख्या और अनुभव भी है. यहाँ एक बात और समझने की है कि जो कुछ भी बनाया जाये उसमें किसी प्रचलित प्लेटफॉर्म की नकल करने के स्थान पर उसे नए सिरे से शुरू करने के बारे में गंभीरता से सोचा जाए. देश की ज़रूरतों के अनुरूप बने इस मंच से जहाँ एक तरफ लोगों को सहायता मिलेगी वहीं देश से बाहर जाने वाले धन प्रवाह को भी रोका जा सकेगा। कम से कम इस दिशा में अब गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है क्योंकि आने वाले समय में कोई ऐसा संकट भी आ सकता है जिससे सीधे तौर पर सिर्फ इंटरनेट पर ही लड़ा जाये तो हमारे पास उपलब्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अनुपलब्ध भी हो सकते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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