देश विश्व स्वाथ्य संगठन के निर्देशों के अनुरूप ७८ दिनों का लॉक डाउन ८ जून के बाद से चरणबद्ध तरीके से अनलॉक होना शुरू होने वाला है इसके पहले ही १ जून से बहुत सारे राज्यों ने आने यहाँ विभिन्न तरह की गतिविधियों को शुरू कर दिया है. यह सही है कि लॉक डाउन के साथ जीने की एक नई विधा आम नागरिकों के सामने आई है और आने वाले समय में जब तक देश को इस वायरस से निपटने का कारगर उपाय नहीं मिल जाता है हम सभी को कुछ प्रतिबंधों और अपने आचरण से इस बीमारी के संक्रमण को रोकने की दिशा में काम करना होगा. लॉक डाउन को लेकर राजनैतिक बहस चाहे जिस भी स्तर पर हो पर इससे होने वाले लाभ और हानियों के बारे में आम जनता को सोचना ही होगा क्योंकि अस्पतालों में बढ़ती भीड़ में राजनेताओं को कोई परेशानी नहीं होने वाली है सिर्फ आम जनता के लिए ही वहां पहुंचना और सुविधाएँ ले पाना हमेशा की तरह बड़ी चुनौती बनने वाला है.
सरकार ने लॉक डाउन के माध्यम से देश को एक हद तक कोरोना के संक्रमण के पीक पर पहुँचने पर उससे लड़ने के लिए तैयार करने का काम ही किया है. अब जब हम लोग इससे जुडी सावधानियों के साथ जीना सीख चुके हैं तो इस बात पर एक बार फिर से विचार करने की आवश्यकता है कि हमें अब यह अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा क्योंकि जब तक बीमारी है तब तक इससे बचने के लिए सभी को आवश्यक सावधानियों पर ध्यान देना ही होगा। अब अपने को इस बीमारी से बचाने की ज़िम्मेदारी एक तरह से हम नागरिकों की ही है. सरकार हर जगह ध्यान नहीं दे सकती है इसलिए खुद एवं अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अब समय समय पर जारी होने वाले निर्देशों को मानना हम लोगों पर ही है. इन उपायों पर ध्यान रखकर ही हम अपने को सुरक्षित रखते हुए पूरे समाज को बीमारी से मुक्त रख सकते हैं.
सबसे पहले तो यही ध्यान रखना होगा कि १० वर्ष से कम के बच्चे और ६५ से ऊपर के बुजुर्ग के साथ गर्भवती महिलाओं के बाहर निकलने पर हम लोग स्वतः ही प्रतिबन्ध लगाएं जिससे हमारे परिवार का यह हिस्सा सुरक्षित रह सके. जो लोग स्वस्थ हैं वे भी बहुत आवश्यक कार्यों से ही बाहर निकले और काम करने वाले महिला पुरुष अपने कार्यस्थल पर पूरी तरह से सरकार की सूची के अनुरूप ही अपने बचाव को सुनिश्चित करें। ऐसी किसी भी परिस्थिति में जब हमारा बाहर निकलना आवश्यक हो तो अपने काम को समाप्त कर जल्दी से वापस अपने घरों में आ जाना चाहिए क्योंकि अभी जिस तरह से समुदाय में संक्रमण फैलना शुरू हुआ है तो कोई भी संक्रमित व्यक्ति हमारे संपर्क में आ सकता है जिसमें बीमारी के कोई लक्षण तो न हों पर वह संक्रमण का कैरियर हो और इस संक्रमित व्यक्ति से यह बीमारी हमारे घर तक भी आ सकती है. ऐसी परिस्थिति में हम सभी को एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय देना होगा और बीमारी से खुद को बचाते हुए इसके प्रसार को रोकने में अपना योगदान देना ही होगा।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सरकार ने लॉक डाउन के माध्यम से देश को एक हद तक कोरोना के संक्रमण के पीक पर पहुँचने पर उससे लड़ने के लिए तैयार करने का काम ही किया है. अब जब हम लोग इससे जुडी सावधानियों के साथ जीना सीख चुके हैं तो इस बात पर एक बार फिर से विचार करने की आवश्यकता है कि हमें अब यह अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा क्योंकि जब तक बीमारी है तब तक इससे बचने के लिए सभी को आवश्यक सावधानियों पर ध्यान देना ही होगा। अब अपने को इस बीमारी से बचाने की ज़िम्मेदारी एक तरह से हम नागरिकों की ही है. सरकार हर जगह ध्यान नहीं दे सकती है इसलिए खुद एवं अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अब समय समय पर जारी होने वाले निर्देशों को मानना हम लोगों पर ही है. इन उपायों पर ध्यान रखकर ही हम अपने को सुरक्षित रखते हुए पूरे समाज को बीमारी से मुक्त रख सकते हैं.
सबसे पहले तो यही ध्यान रखना होगा कि १० वर्ष से कम के बच्चे और ६५ से ऊपर के बुजुर्ग के साथ गर्भवती महिलाओं के बाहर निकलने पर हम लोग स्वतः ही प्रतिबन्ध लगाएं जिससे हमारे परिवार का यह हिस्सा सुरक्षित रह सके. जो लोग स्वस्थ हैं वे भी बहुत आवश्यक कार्यों से ही बाहर निकले और काम करने वाले महिला पुरुष अपने कार्यस्थल पर पूरी तरह से सरकार की सूची के अनुरूप ही अपने बचाव को सुनिश्चित करें। ऐसी किसी भी परिस्थिति में जब हमारा बाहर निकलना आवश्यक हो तो अपने काम को समाप्त कर जल्दी से वापस अपने घरों में आ जाना चाहिए क्योंकि अभी जिस तरह से समुदाय में संक्रमण फैलना शुरू हुआ है तो कोई भी संक्रमित व्यक्ति हमारे संपर्क में आ सकता है जिसमें बीमारी के कोई लक्षण तो न हों पर वह संक्रमण का कैरियर हो और इस संक्रमित व्यक्ति से यह बीमारी हमारे घर तक भी आ सकती है. ऐसी परिस्थिति में हम सभी को एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय देना होगा और बीमारी से खुद को बचाते हुए इसके प्रसार को रोकने में अपना योगदान देना ही होगा।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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