मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 22 मई 2020

छिछली राजनीति

                                           कांग्रेस भाजपा के बीच शुरू हुए बस विवाद ने अब अगले चरण पर स्थान पा लिया लगता है क्योंकि देश में जो कुछ भी सामान्य प्रशासनिक कार्य किये जाते हैं अभी तक उनको गोपनीय ही रखा जाता था पर यूपी रोडवेज की तरफ से राजस्थान को किये गए भुगतान को लेकर जिस तरह भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट किया तो उससे यही लगता है कि अब राज्यों के सामान्य प्रशासनिक कार्यों तक पार्टी के प्रवक्ताओं की पहुँच होने लगी है. यह भी हो सकता है कि यह पत्र गोपनीय न भी हो पर सामान्य पत्राचार का उपयोग इस तरह से एक दूसरे पर आरोप लगाने में किया जाने लगे तो देश की राजनीति का स्तर समझा जा सकता है. इस पत्र के सामने आने के बाद राजस्थान सरकार ने भी यूपी सरकार को पूरा बिल भेज दिया है और भुगतान करने की मांग भी की है जिससे मजदूरों की समस्याओं के स्थान पर इन नेताओं की लड़ाई का एक और रूप सामने आने वाला है.
                               किसी भी राज्य में ऐसी आपातकालीन परिस्थिति में स्थानीय प्रशासन से सहयोग के लिए देश का दूसरा राज्य अपने स्तर से पत्राचार करता है और उसमें बहुत सारी बातें भी होती हैं पर इस पत्र को प्रियंका गाँधी पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किये जाने से किसको राजनैतिक लाभ होने वाला है ? संबित पात्रा ने कहीं पर उस पत्र का ज़िक्र नहीं किया है जो यूपी सरकार ने राजस्थान सरकार को इस सम्बन्ध में लिखा था उसमें संभवतः यूपी सरकार ने भुगतान किये जाने की बात की होगी जिसको ज्ञानी प्रवक्ता संबित द्वारा जानबूझकर छिपाया गया है ? राज्यों के सामान्य काम काज में किसी भी राजनैतिक दल का इस तरह का दखल सामान्य नहीं कहा जा सकता है और यह विचारणीय भी है. कई बार राज्य अपनी परिस्थितियों पर विचार कर एक बीच का रास्ता निकालने के लिए कई बार पत्राचार भी करते हैं पर क्या उसका राजनैतिक लाभ किसी भी दल द्वारा उठाया जाना चाहिए ?
                                 इस मामले में सभवतः जो धनराशि डीज़ल पर खर्च हुई होगी उसके बिल का भुगतान किया गया होगा जबकि राजस्थान सरकार का यह कहना है कि बसें कम पड़ने पर राजस्थान रोडवेज ने छात्रों को उनके गंतव्य तक पहुँचाया जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है ? जब ५ ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का सपना देखने वाले केंद्र की सरकार मज़दूरों को उनके घरों तक रेल द्वारा निशुल्क नहीं भेज सकती तो हिली हुई आर्थिक परिस्थिति में राज्य सरकारों से किसी भी तरह की आर्थिक उदारता की उम्मीद आखिर कैसे की जा सकती है ? लंबी चौड़ी बातें करने वाले दल और नेता अपने यहाँ की परिस्थिति पर विचार नहीं करते हैं और किसी भी बात पर राजनीति शुरू कर देते हैं जिससे केवल जनता की परेशानियां ही बढ़ती हैं. अच्छा हो कि सभी राजनैतिक दल और उनकी सरकारें इस तरह के मामलों पर राजनैतिक लाभ लेने की कोशिशों से दूर ही रहें और जनता को सही तरह से सहायता करने हेतु नीतियों का क्रियान्वयन करने पर ध्यान दें.
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