मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 28 मई 2020

आपदा संकट में भ्रष्टाचार

                                                                      देश में बाढ़ सूखा जैसी नियमित और भूकंप जैसी आपदाओं के समय सदैव ही प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं जिससे संकट ग्रस्त जनता के मन में देश के सरकारी तंत्र के लिए घृणा का भाव ही उभरता है. ऐसा नहीं है कि पूरे देश में सदैव से ही भ्रष्टाचार का इतना बोलबाला रहा हो पर इसने जिस तरह से देश के राजनितिक तंत्र और नौकरशाही को अपने में जकड़ रखा है उसको देखते हुए किसी भी तरह के अप्रत्याशित सुधार की आशा नहीं की जा सकती है. इस तरह की आपदा में जिस बड़े स्तर पर लोग प्रभावित होते हैं और उसी स्तर पर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न तरह की योजनाएं लाई जाती हैं इस भ्रष्ट तंत्र के लोग उनका हर परिस्थिति में लाभ उठाने से नहीं चूकते हैं. यह सही है कि आधार के बैंक खातों से जुड़ने के बाद जिस तरह से सहायता को सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाने की व्यवस्था को सुनिश्चित करने में सफलता मिल रही है वहीं आज भी भ्रष्टाचारियों के पास इसी व्यवस्था से अपने हिस्से को निकालने की नई नई तरकीबें सामने आ रही हैं.
                          देश के अधिकांश राज्यों में जिस तरह से सहायता में गड़बड़ी की जा रही है वह किसी से भी छिपी नहीं है. दूसरे राज्यों से आये हुए मजदूरों को आश्रय स्थल /क़्वारण्टीन सेंटर्स से घर भेजने के समय एक किट देने की व्यवस्था की गई है परन्तु उसकी लम्बी प्रक्रिया बनाकर उबाऊ कर दिया गया है जिससे अधिकांश लोग जिनमें कोई लक्षण नहीं होते सरकारी कागज़ों पर हस्ताक्षर करके अपने घरों को प्रस्थान कर जाते हैं और उनके लिए नियत किये गए किट आसानी से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं. इस तरफ किसी भी सरकार या अधिकारी का ध्यान नहीं जाता है जिससे अब यह खेल अधिकांश जगहों पर बड़े पैमाने पर खेला जाने लगा है और लाचार मजदूरों को उनके घर पहुँचने पर कुछ आवश्यक सामान के साथ भेजने की सरकारी मंशा की धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं।
                           गुजरात से बिना मानकों को पूरा किये वेंटिलेटर्स की सप्लाई की बात भी सामने आयी पर उसमें कुछ भी कड़े कदम नहीं उठाये गए हैं इस समय यह समझने की आवश्यकता है कि इस तरह का संस्थागत भ्रष्टाचार अंत में किसी भी सरकार के लिए बड़ी समस्या ही बन सकता है तो उस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए और जो भी लोग इसमें किसी भी स्तर पर शामिल मिलें उनके खिलाफ विशेष परिस्थितियों में रासुका लगाने की संस्तुति की जानी चाहिए जिससे आने वाले समय में ऐसी विषम परिस्थिति में लोग भ्रष्टाचार करने से पहले सौ बार सोचने को विवश किये जा सकें। जब देश के सामने इस स्तर संकट हो तो भ्रष्टाचारी को देशद्रोही से कम नहीं माना जा सकता है. हिमाचल प्रदेश में जिस तरह से पीपीई किट घोटाला सामने आया है उससे यही लगता है कि आज भी देश में ऐसे लोग मौजूद हैं जो हर परिस्थिति में भ्रष्टाचारी हो सकते हैं और उन्हें किसी के जीने मरने से कोई अंतर नहीं पड़ता है.  
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