(चित्र साभार बी बी सी हिन्दी सेवा)
बिहार जिसका नाम आते ही देश क्या दुनिया में एक अजीब सी हलचल सी हो जाती है वहां से एक सुखद बयार आई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एम् एस राजू ने बहुत बड़े पैमाने पर नरेगा के तहत पेड़ लगाने के काम को हाथ में लिया और जिस तरह से उन्होंने इसको नरेगा से जोड़ दिया वह बहुत सुकून देने वाली घटना है। आज जब सारे देश में नरेगा में घोटाला ही है तो बिहार से ऐसी ख़बर बहुत सुखद तो लगनी ही थी। इस प्रयास से जहाँ लोगों को काम मिला वहीं धरती का आवरण बनाने में भी बहुत मदद मिली। इस कार्यक्रम की खास बात तो यह है कि पेड़ के नष्ट हो जाने पर लोगों की मजदूरी काटने का इंतेज़ाम भी इसमें किया गया है। ७० % पेड़ सूखने पर परिवारों को बदलने का इंतेजाम भी इस योजना में है। आज जब हम सभी केवल पेड़ काटने की बातें ही करते हैं तो इस तरह से एक योजना से दोहरा लाभ उठाने की कोई भी नीति देश में बहुत कारगर हो सकती है। अच्छा हो कि योजनायें राजधानियों की बजाय जिलों में आवश्यकता के अनुसार ही बनाई जाए तभी कुछ ऐसा हो पायेगा कि देश में विकास की सही रफ्तार दिखाई देगी। दिल्ली में बैठ कर वास्तविकता का भ्रम ही होता है जो सच से कोसों दूर होता है। देश में जो कुछ भी अच्छा हो रहा है उसे लोगों के सामने लेन की ज़रूरत है हो सकता है कि कोई उससे प्रेरणा लेकर अपने यहाँ भी कुछ वैसा ही करने का प्रयास करे। इस अच्छी ख़बर के लिए बी बी सी हिन्दी सेवा बधाई की पात्र है .
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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