देश में आजकल जिस तरह से आतंक के साये में सभी जीने को मजबूर हैं वह किसी से छिपा नहीं है. आजकल पूरा देश ईद के बाद अब नवरात्रि में झूम रहा है, कल ही बंगाल में इस बात के लिए फिर से चेतावनी दी गयी है कि आतंकी भीड़ भरे स्थानों को अपना निशाना बना सकते है. उत्सव वाले भीड़ भरे स्थान हमेशा से ही आतंकियों के लिए हमले के लिए सबसे आसान होते हैं क्योंकि भीड़ में अराजकता आसानी से फैलाई जा सकती है. वैसे भी भीड़ की मानसिकता अलग तरह की ही होती है हर कोई अपनी जान बचाने के लिए जूझता दिखाई देता है. जब देश किसी ऐसी परिस्थिति से गुज़र चुका होता है तो सतर्कता बहुत बढा दी जाती है पर लोगों को पहले से ही सतर्क करने के मामले में हम सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित होते हैं.अचानक होने वाले इस तरह के हादसों में बहुत कुछ अपने आप ही होने लगता है पर सभी लोगों को सार्वजानिक स्थानों पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी तरह से लोगों को कोई परेशानी न हो. सरकारें भी भूल जाती हैं कि लोगों को यह बातें बराबर ही बताने की आवश्यकता होती है. हर तरह की विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए केवल सरकार /पुलिस ही काफी नहीं होती है. जन सहभागिता से कोई भी काम आसानी से किये जा सकते हैं. अच्छा हो कि इस तरह के अन्य कामों को प्राथमिकता से सिखाया जाये जिससे सभी लोग जिम्मेदार नागरिकों की तरह व्यवहार कर सकें और राहत बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न न करें. देश की सुरक्षा एजेंसियां हमारी सुरक्षा में तो हैं हीं पर हम सभी को भी इस तरह से प्रयास करना चाहिए कि जनता इसमें पूरी सहयोगी नज़र आये. ध्यान रखें यदि आप सार्वजानिक स्थान पर हैं तो कुछ भी संदिग्ध लगे तो पुलिस को अवश्य सूचित करें. हो सकता है कि हमारी यह सतर्कता बहुतों को जीवन दान दे सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सतर्कता तो निहायत जरुरी है. आपने अच्छा संदेश दिया.
जवाब देंहटाएंbhaiya ji bahut achha likha hai....
जवाब देंहटाएंlikhate rahiye....
jald mulakat ho sakti hai....