शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009
फिर से हमला.
अफगानिस्तान के पुनर्निमाण में भारत द्वारा जिस तरह से योगदान किया जा रहा है वह अपने आप में बहुत अच्छा काम है और इस बात को तालिबान और अन्य आतंकी संगठन बहुत अच्छे से समझते हैं। आतंक, भूख और भय में जीते हुए किसी भी देश में मानवीय आधार पर किए गए सारे काम जनता को अपने पक्ष में करने में बहुत सहायक होते हैं। भारत द्वारा जिस तरह से बिना किसी लालच के वहां पर जितने काम किए जा रहे हैं उनका असर वहां के जन मानस पर बहुत हो रहा है। इस बात से परेशान होकर पाक में बैठे आतंकियों के मुखिया और आतंकी संगठन भी सकते में हैं क्योंकि उनकी नज़र में एक काफ़िर मुल्क का इस्लामी मुल्क को बनाने में कोई हाथ नहीं होना चाहिए ? देश को बनाने के स्थान पर तालिबान किस तरह से आतंक का सहारा लेकर भारत के बारे में लोगों के मन में भय उत्पन्न करना चाहते हैं यह इस हमले से पता चलता है। आतंकी भारत को वहां पर काम करने से तो रोक नहीं सकते हैं पर इस तरह के हमले करके वे लोगों के में डर बैठाना चाहते हैं कि जो भी भारतीय दूतावास के साथ काम करेगा वह भी किसी दिन इस तरह की घटनाओं में मारा जाएगा। यह हो सकता है कि भारत के बारे में आतंकी कुछ ऐसा न कह पाते हों जैसा वे पश्चिमी देशों के बारे में बहुत आसानी से कह देते हैं ? जिन्होंने भारत देखा है वे जानते हैं कि यहाँ पर किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं है। पर सारे ऐसे भी तो नहीं जिन्हें असली भारत के दर्शन हो जायें ? वर्तमान परिस्थितियों में यह तो अच्छा ही रहा कि दूतावास की सुरक्षा के लिए उठाये गए क़दमों ने सकारात्मक फल दिया और आतंकी पिछली बार की तरह दीवार भेद कर अन्दर मार कर पाने में पूरी तरह विफल रहे। अब यह देखना ज़रूरी है कि वहां पर सुरक्षा इतनी अच्छी होनी चाहिए कि आतंकी कर्मचारियों पर हमला कर उनके लिए संकट उत्पन्न न कर सकें। आवश्यकता पड़ने पर वहां पर उसी तरह के सुरक्षा माप दंड अपनाए जाने चाहिए जैसे देश के प्रमुख लोगों के लिए अपनाए जाते हैं। देश के लोगों को भी इन जवानों और कर्मचारियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि वे सभी वहां पर देश से जुड़े मुद्दों के लिए ही तो हैं...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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