सफल व्यक्ति के लिए कुछ बातें कितनी आसानी से होती चली जाती हैं इसका ताज़ा उदाहरण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से अच्छा कौन हो सकता है। उन्हें पद संभाले अभी एक वर्ष भी नहीं हुआ है और उनकी कुछ सफल और फल देने वाली नीतियों ने उन्हें वह सम्मान दिलवा दिया जिसके लिए शायद उन्होंने इतनी जल्दी सोचा भी नहीं था। यह सही है कि उनसे पूर्व वर्तियों द्वारा मुस्लिम देशों के साथ जो व्यवहार किया गया उसे वे एक दिन में तो नहीं बदल सकते थे पर उन्होंने कुछ प्रयास अवश्य किए जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है। इस्राइल फिर से बात करने को राजी हो रहा है और ईरान ने भी परमाणु मुद्दे पर बात चीत में शामिल होने की बात कही है। दुनिया में बहुत सारे पेचीदे मामले हैं जो रात भर में सुलझाए नहीं जा सकते पर उनको सुलझाने के लिए किसी एक सिरे को पकड़ कर समस्या के समाधान की तरफ़ बढ़ना ही होगा । आज के समय में दुनिया में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है और दुनिया की बात करते समय इनको अलग कर किसी भी काम को आगे नहीं बढाया जा सकता है। ओबामा ने जिस तरह से मुस्लिम जगत में यह संदेश देने की कोशिश की कि अमेरिका मुस्लिम विरोधी नहीं है उसका कुछ परिणाम तो सामने आ ही रहा है। ओबामा के पास जादू की छडी तो है नहीं कि वह रात भर में दशकों की समस्याओं से छुटकारा पा सकें। हाँ साथ ही मुस्लिम जगत को भी सोचना होगा कि अमेरिका में हमेशा कोई ओबामा हो यह ज़रूरी नहीं है और यदि आज मिले इस समय को चूका गया तो पता नहीं कब तक विद्वेष की आग अगले ओबामा के इंतज़ार तक दुनिया को झुलसाती रहे। आज की आवश्यकता है कि सारी दुनिया में विश्वास की बहाली करने का प्रयास किया जाए। तभी ओबामा को मिले नोबल पुरुस्कार की सार्थकता साबित हो पायेगी।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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-बस, नारद बाबा की आवाज दुहरा दी.