मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 5 नवंबर 2009

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेंच

पता नहीं सरकारें किसी तरह की सोच में विश्वास करती हैं और उनके काम करने का नजरिया कहाँ तक उचित होता है ? आजकल उत्तर प्रदेश एक अलग तरह के आन्दोलन को देख रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग उच्च न्यायालय की एक पीठ वहां भी खोलने की मांग कर रहे हैं। वैसे देखा जाए तो सरकार पहल कर कई मामलों को एक साथ सुलझा सकती है पर क्या उत्तर प्रदेश सरकार को समय है इस तरह से सोचने का ? अभी कुछ दिन पहले केन्द्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के विचार विमर्श में कुछ भी सामने तो नहीं निकला पर नए स्तर से प्रयास करने पर बल दिया गया था। सरकार असमानता दूर करने के ढिंढोरे पीटती नहीं थकती है भले ही किसी की सरकार हो। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यदि एक पीठ और काम करने लगे तो यह जनता सरकार और सभी के लिए अच्छा ही होगा। जिन्हें उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति का अंदाजा है वे समझ सकते है की जब मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर आदि जिलों के लोग अपने मुक़दमें लेकर इलाहाबाद जाते हैं तो उन पर क्या बीतती है ? एक पेशी ही कई दिन खा जाती है ? फिर आने जाने में जो कुछ खर्च होता है उससे कोई मतलब नहीं होता। यदि इस समस्या को ख़त्म करने के लिए और त्वरित न्याय के लिए एक और पीठ बना दी जाए तो लोगों का इलाहाबाद आना जाना बंद हो जाएगा साथ ही उनको न्याय भी समय से और सस्ते में उपलब्ध हो सकेगा । केन्द्र सरकार ने एक और कह दिया की प्रदेश सरकार की तरफ़ से कोई प्रस्ताव नहीं है अतः वो विचार नहीं कर सकती है जब कोई प्रस्ताव आएगा तभी बात की जा सकती है। प्रदेश सरकार में एक बहुत बड़े वकील सतीश चन्द्र मिश्र अहम् स्थान रखते हैं पर पता नहीं क्यों अपने कार्य से सम्बंधित एक यह कार्य करवाने के बारे में आज तक वे भी सोच पा रहे हैं ? सरकार को समय रहते चेत जाना चाहिए क्योंकि ऐसी ही छोटी छोटी मांगें ही अलग राज्य मांगने की मांग तक पहुँच जाती है और जनता को अनावश्यक रूप से आंदोलनों से दो चार होना पड़ता है जिनकी कोई आवश्यकता नहीं होती है।

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1 टिप्पणी:

  1. सरकारे इतनी जल्दी नही चेतेगी.. यह हमेशा देखने मे आया है......बस प्रस्ताव पर फिर कोई प्रस्ताव आ जाएगा जब कुछ समय और बीत जाएगा.....

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