मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 12 दिसंबर 2009

राज्यों में बवाल

केन्द्र ने तेलंगाना बनाये जाने को लेकर जिस तरह से अचानक घोषणा कर दी थी उसके परिणाम और घटिया राजनीति के दर्शन अब हो रहे हैं। जैसा कि पहले से ही पता था कि इस मसले पर ज़बरदस्त राजनैतिक उठापटक होने जा रही है। देश में अन्य जगहों से नए राज्य बनाये जाने की पुरानी मांग फिर से सर उठाने लगेंगीं। जैसा कि पूरे देश के हित में होगा कि इस समय सरकार को पूरे देश के राज्यों के पुनर्गठन के बारे में सोचना ही होगा तभी जाकर वास्तविक परेशानियों से पीछा छूट सकेगा और देश में सही दिशा में विकास हो सकेगा। यह बात पहले से ही समझनी होगी कि किसी के मांगने पर राज्य दिए जाने की आवश्यकता नहीं है वरन देश के समग्र विकास को देखते हुए वास्तविक धरातल पर विचार कर नए राज्यों का निर्माण या पुराने राज्यों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए। अच्छा ही हुआ कि मनमोहन सिंह ने भी यह कह दिया कि तेलंगाना पर फ़ैसला जल्दबाजी में नहीं किया जाएगा। राज्य बनने की बात से ही आंध्र प्रदेश कितना अलग थलग हो गया है। हैदराबाद चाहे जहाँ रहे पर वहां के आई टी उद्योग की पूरी रक्षा कि जानी चाहिए। बेकार के विवादों से कुछ भी हासिल नहीं होने जा रहा है। पहले अन्य बातों पर विचार किया जाना चाहिए तभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। अगर हैदराबाद केन्द्र शासित ही होने जा रहा है तो क्यों न देश के सभी बड़े नगरों के बारे में केन्द्र ही फ़ैसला लेने लगे और जिसको जितने राज्य चाहिए ले ले और अपने संसाधनों से नई राजधानियों का निर्माण भी कर सके। उत्तराखंड में आज तक लोगों को उनका हक उनकी अपनी सरकार नहीं दे पा रही है। इतने सालों के बाद उनके पास न तो राजधानी है और न ही पहाड़ों पर कोई बहुत विकास हो पाया है। हाँ यदि हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़ दिया जाए तो विकास के आयामों को अभी भी उत्तराखंड में अभी सारा कुछ ही स्थापित ही करना है।

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. बर्ष २००० में गठित तीन नव-राज्यों के परिणाम पिछले नौ बर्षों में सुखद नहीं रहे। अतः कदम तो सोच समझ कर ही उठाना होगा।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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