रक्षा शोध एवं अनुसन्धान संगठन (डी आर डी ओ) अब आतंकी चुनौतियों से निपटने के लिए दीवार के आर-पार देख सकने वाला रडार बनाने जा रहा है। सैनिक ज़रूरतों से निपटने और उन्हें पूरा करने के लिए तो संगठन बहुत दिनों से काम कर ही रहा है। अब कम तीव्रता के हमलों के समय ज़रूरत में काम आने वाली चीज़ों और उपकरणों के विकास के लिए संगठन एक अलग टीम ही बनाने जा रहा है जो इस तरह के विशेष उपकरणों के विकास पर ही काम करेगी। यह सही है कि शान्ति के समय भी रक्षा की ज़रूरतें कम नहीं होती हैं बल्कि आज के आतंकी युग में तो इस तरह के साजो समान की बहुत आवश्यकता होती है। इसकी तैयारी के लिए संगठन ने सेना के साथ देश के सभी अर्ध सैनिक बालों से भी बैठकें कर यह जानने का प्रयास किया कि आख़िर किस तरह से उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। किसी आतंकी घटना से निपटने के समय बलों को क्या कठिनाइयाँ सामने आती हैं यह भी जानकर ही सही दिशा में विकास किया जा सकेगा। संगठन के मुख्य नियंत्रक डा के शेखर और गृह सचिव जी के पिल्लई ने भी इस बैठक में भाग लिया। इन लोगों ने आतंकियों के पास उपलब्ध अत्याधुनिक हथियारों का ज़िक्र भी किया साथ ही यह भी कहा कि इससे निपटने के लिए उसी स्तर के हथियारों की आवश्यकता होगी जिसे संगठन को पूरे मनोयोग से तैयार करना होगा। बैठक में सीमा पर सुरक्षा और देश के किसी अन्य भाग में आतंकी हमले के समय होने वाली ज़रूरतों कि भिन्नता पर भी विचार किया गया। सीमा पर जिन हथियारों की आवश्यकता होती है उनसे शहर के अन्दर भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर काम नहीं चलाया जा सकता है। संगठन ने शीघ्र ही इस दिशा में ठोस काम करने की मंशा भी ज़ाहिर की है जिससे देश के बलों को भविष्य में अच्छे उपकरण आसानी से उपलब्ध हो सकेंगें।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
शुक्र है कि किसी संगठन ने यह सब सोचा तो ...अमल मे कब तक ला पाएँगे ...देखना है ...!!
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