लोकसभा में सुषमा स्वराज के नेता विरोधी दल बनने पर जहाँ भारत की सांसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और प्रभाव और बढ़ा है तब भी महिला आरक्षण विधेयक के बारे में कुछ भी ठीक तरह से सोचा नहीं जा रहा है। देश में आज संसद में जिस तरह से महिलाओं के हाथ में बहुत कुछ है उसके बाद भी कुछ सही दिशा में किया जाना बाकी है। आज सभी दलों को यह देखना और सोचना होगा कि किस तरह से महिलाओं को उनका हक़ दिया जाये ? महिलाओं के विकास के लिए उनके लिए हर स्तर पर विकास की बातें करने से ही काम नहीं चलने वाला है। आज इस बात पर ध्यान देकर जल्दी ही इस तरह के विधेयक पर चर्चा करनी चाहिए। जहाँ तक मुलायम सिंह और अन्य लोगों के विरोध का सवाल है तो उनको भी बिठाकर इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि आखिर वे किस बात के विरोधी हैं या फिर विधेयक में वे क्या चाहते हैं ? यह देश सभी का है और किसी के विरोध को मात्र विरोध मानकर ही सब कुछ नहीं किया जा सकता है ? अगर देश के मुख्य दलों कि राय में इस प्रस्तावित विधेयक में कुछ कमियां हैं तो उन पर विचार किया ही जाना चाहिए। फिल हाल कुछ भी हो प्रयास उस स्तर पर होने चाहिए कि महिलाओं को उनके हक को सही रूप में दिया जा सके। हाँ एक बात का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए कि कहीं इसके आड़ में लोग धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग न शुरू कर दें।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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