आखिर कार झारखण्ड में सरकार बनाने के लिए भाजपा से शिबू सोरेन की बात हो गयी जिसके बाद लगता है कि सरकार बनाने में अब कोई बड़ी अड़चन नहीं आने वाली है. झारखण्ड जैसा प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य अपने जन्म के समय से ही इस तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. वहां पर व्याप्त राजनैतिक अस्थिरता ने राज्य के विकास को रोक सा दिया है. आज भी वहां पर विकास की जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है जिस उद्देश्य को लेकर इस राज्य का गठन किया गया था वह पूरी तरह से विफल हो गया है. झारखण्ड का यही कहना था कि बिहार हमारे संसाधनों से कमाई तो खूब करता है पर विकास के नाम पर कुछ नहीं करता है. आज जब सब कुछ वहां के स्थानीय लोगों के हाथ में है तो बुरी तरह से विखंडित जनादेश के कारण वहां पर विकास की बात ही बईमानी हो गयी है. भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे ये राजनेता किस तरह से राज्य को विकास कि पटरी पर आगे बढ़ा पायेंगें यह भी सोचने का विषय है. फिलहाल सरकार बनने से यह तो हो जायेगा कि राष्ट्रपति शासन नहीं लगाना पड़ेगा पर अब यह बनने वाली नयी सरकार पर निर्भर करेगा कि वह किस तरह से पुराने मुद्दों को पीछे छोड़कर नए सिरे से झारखण्ड के पुनर्निर्माण में आगे आती है. जनता ने इस बार जो ग़लती कर दी है वह उसे हो सकता है कि अगले चुनाव में उत्तर प्रदेश की तरह सुधार ले जब वहां पर कई त्रिशंकु विधान सभों के बाद बसपा को पूर्ण बहुमत मिल गया था.
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झारखण्ड में सीबू सोरेन की सरकार बनवा कर बीजेपी वही गलती कर रही है जो यूपी में मायावती को बार बार समर्थन देकर की थी, जनता ने आपको विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है तुम सोनिया गाँधी के नेतृत्व में पले हुए भ्रस्ट नेता को सी एम बनाकर क्या सन्देश दे रहे हो, कांग्रेस ने तो लालू सीबू से पीछा छुडा लिया, अब बीजेपी यूपी वाली गलती दोहरा रही है.
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