कार्टून साभार आउटलुक पत्रिका से
सार्वजनिक जीवन में सब कुछ पाने के बाद इस तरह के जीवन की कल्पना से कोई भी सिहर सकता है पर नारायण दत्त तिवारी जैसे कद का नेता जब इस तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित हो जाये तो इसे क्या कहा जा सकता है ? निश्चित तौर पर यह एक मानसिक बीमारी ही है पर इसका इलाज करने के बजाय इसको पूरा करने का जो अंजाम हो सकता था वह तिवारी भोगने के लिए अभिशप्त हो चुके हैं. एक ऐसा नेता जिसको उत्तर प्रदेश में उस समय विकास पुरुष कहाः जाता था जब विकास करने के लिए सरकारों के पास पैसे ही नहीं होते थे फिर ऐसा क्या हो गया कि उनके करीबियों ने उनकी इस बीमारी को समझने के बजाय उनकी आकांक्षाओं को शांत करने की कोशिश की ? निश्चित तौर पर उन्हें तिवारी का हमदर्द नहीं कहा जा सकता है . एक ऐसा नेता जिसने देश और प्रदेश के लिए बहुत कुछ किया जिसकी निर्णय क्षमता बेमिसाल कही जा सकती है, जिसके उत्तर प्रदेश से जाने के बाद यहाँ पर विकास का स्थान भ्रष्टाचार, जातिवाद ने लिया उसका राजनैतिक अंत इतना दुखद होना कोई सोच भी नहीं सकता. पूरे राजनैतिक जीवन में तिवारी ने १९९१ में सबसे बड़ी मात खायी थी क्योंकि अगर उस समय नैनीताल की जनता ने उन्हें संसद भेज दिया होता तो वे उसी समय राव साहब के स्थान पर देश की बागडोर संभल चुके होते. सच है कि स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आज तक तिवारी की बहुत सी उपलब्धियां रहीं हैं और उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया भी है पर आखिर में वे अपने भाग्य के हाथों मात खा ही गए जब उनको एक शांत जीवन जीना चाहिए था तब उनको ऐसे आरोपों के तहत अपना पद छोड़ना पड़ रहा है जिस समाज में किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है. फिर भी उनके कामों के लिए देश उनको कभी भूल नहीं पायेगा. कुछ कहा नहीं जा सकता उन पर शक करते हुए भी उनके कामों को नहीं भूला जा सकता अच्छा हो इस बात की तह में जाया जाये और दोषियों को सजा भी दी जाये.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
मुझे तो इसमें साजिश की बू आती है...
जवाब देंहटाएंमुझे भी इसमें साजिश की बू आती है...
जवाब देंहटाएंसही बात है जरूर कोई साजिश है। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंतिवारी जी की तारीफ मत करो ,वे हमेशा सेक्स मामलो में विवादित रहे है, उत्तर प्रदेश उत्तराचल में उनकी कहानिया सुनी जा सकती है.अक युवक कोर्ट में उनकी अवैध संतान होने का दावा कर चूका है, उसका कहना है की उसकी माँ और तिवारी के अवैध संबंधो से वेह पैदा हुआ, यह कांग्रेस की संस्कृति में शामिल है...
जवाब देंहटाएंसुना तो काफी पहले से था. अब देख भी लिया. रोहितशेखर की बात में सत्यता भी हो सकती है. किसी गुनहगार ने आजतक अपना जुर्म कबूला है.
जवाब देंहटाएंआज जो भारतीय राजनीति के हालात हैं ..... कुछ भी हो सकता है .......... साजिश या हक़ीकत .........
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