मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

थानों में रिपोर्ट आसान ?

रुचिका मामले में पुलिस की भूमिका पर उठते सवालों के बीच गृह मंत्रालय द्वारा यह फैसला करना कि अब थाने में आने वाली हर शिकायत को प्राथमिकी की तरह से माना जायेगा यह संभवतः भ्रष्ट पुलिस कर्मियों पर लगाम लगाने में कुछ हद तक कारगर हो जाये . यह सही है कि देश में किसी भी राज्य में पुलिस आसानी से प्राथमिकी दर्ज नहीं करती है जनता की वाजिब शिकायत को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है जिसके कारण ही कई बार थानों को घेरने और फूंकने तक की घटनाएँ भी दिखाई दे जाती है. आज के समय में सबसे बड़ी समस्या राजनैतिक स्तर पर ही आती है क्योंकि कोई भी राज्य सरकार सिर्फ इसलिए रिपोर्ट दर्ज करने में ईमानदार नहीं रहना चाहती क्योंकि इससे उसके राज्य के अपराधों की सही तस्वीर सामने आ जाती है. यदि वास्तविकता सामने आ जाएगी तो वे समाज को वोट मांगते समय कौन से आंकड़े बतायेंगें ? सिर्फ अपने दामन को साफ दिखाने के चक्कर में पुलिस और राज्य सरकारें इन मामलों में केवल मौखिक कार्यवाही ही करने में यकीन रखती हैं. अच्छा हो कि यह मामला किसी हद तक पहुँच जाये पर देश में केवल योजनायें या कानून बनाने से ही काम नहीं चलने वाला है. आवश्यकता है कि जल्दी ही इन पर अमल भी सुनिश्चित किया जा सके. किसी भी परिस्थिति में यदि सभी शिकायतों को प्राथमिकी माना जाने लगेगा तो देश में पुलिस पहले से ही सक्रिय होकर काम करना सीख लेगी. कुछ महीने पहले कहा गया था कि देश के सभी थाने ऑन लाइन कर दिए जायेंगें पर आज तक उस मसले पर बहुत अधिक नहीं किया जा सका है. देश में बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकता पूरी नहीं होने की दशा में पुलिस बिजली का रोना रोकर बहुत सारी रिपोर्ट लिखने से बच जाएगी और जिस मंशा से इस योजना को लाया जा रहा है वह कभी पूरी नहीं हो पायेगी. फिल हाल यदि रुचिका मामले से गृह मंत्रालय को लगता है कि कुछ किया जाना चाहिए तो यही उसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी.    


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. देखते हैं...


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  2. सराहनीय है और आगे इससे फायदे भी मिलेंगे.

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