विदेश राज्य मंत्री हमेशा से विदेशों में ही रहे हैं जिसके कारण उन्हें भारत में सरकार किस तरह से चलती है शायद इसका पूरा ज्ञान नहीं है. किसी भी मामले पर सरकार की जानकारी को वे सार्वजानिक रूप से नहीं व्यक्त कर सकते हैं शायद यह बात उनके दिमाग से बार बार निकल जाती है. वे शायद यह भूल जाते हैं कि यह संयुक्त राष्ट्र नहीं है, भारत है जहाँ पर किसी भी बिना बात के मुद्दे पर कुछ भी हो सकता है. कड़े वीज़ा नियमों पर टिपण्णी करने से पहले उन्हें यह देखना चाहिए था कि इस मुद्दे पर भारतीय पक्ष के अनुसार क्या किया जाना चाहिए और क्या किया जा रहा है. यदि उनके पास बहुत अच्छे सुझाव हैं तो उन्हें वे सीधे अपने मंत्री या प्रधान मंत्री के पास रखने चाहिए. यह उनका सौभाग्य है कि बहुत दिनों बाद भारत में एक ऐसी सरकार है जो मंत्रियों को पूरी आज़ादी से काम करने दे रही है और वे उसका हिस्सा हैं. पता नहीं क्यों वे अपने मन की बात नेट वर्किंग पर डाल रहे हैं ? उनके अच्छे काम को देखते हुए ही उसका लाभ देश को दिलाने के लिए ही तो उन्हें मंत्रिमंडल में लिया गया था. उन्हें यह आज नहीं तो कल यह समझना ही होगा कि अब वे केवल वक्ता नहीं हैं और उनके इस तरह के क़दमों से सरकर की किरकिरी होती है. कहीं ऐसा न हो कि उनके कोई विरोधी इस बात का लाभ उठा लें और देश एक ऊर्जावान नेता से वंचित हो जाये. भारत परंपरा वादी देश है और यहाँ परम्पराओं को कई बार ढोया भी जाता है तो बस इतना समझ कर अपने पूरे मन से काम करने से ही देश का भला होने वाला है न कि किसी भी बात पर कहीं पर भी सरकार की आलोचना करके. यदि उन्हें लगता है कि वे यहाँ पर सहज नहीं हैं तो आराम से त्यागपत्र देकर अपने सुझावों को किसी भी मंच पर व्यक्त कर सकते हैं. आशा है कि आने वाले समय में स्थितियां कुछ बदल जाएँगी और इस तरह की बातें पहले मंत्रिमंडल में करने के बाद ही उन्हें सार्वजनिक किया जायगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
मेरा ख़याल है कि इस लेख को पढ़ने के साथ-साथ ये कार्टून देखना बनता है.
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