दुनिया में असहिष्णुता किस हद तक बढती जा रही है इसका ताज़ा उदाहरण मलेशिया में देखा जा सकताहै. वहां पर कट्टपंथियों ने सरकार पर दबाव डालकर यह आदेश पारित करा लिया था कि गैर मुस्लिम "अल्लाह" शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. इस बारे में वहां के न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी तो न्यायमूर्ति ने सरकार के फैसले को उलट दिया और कहा कि "अल्लाह" शब्द केवल इस्लाम से ही सम्बद्ध नहीं है तो फिर किसी को इसके प्रयोग से कैसे रोका जा सकता है ? सरकार जो पहले ही कट्टरपंथियों के दावा के कारण कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी और चुप हो गयी. अब जबकि इस फैसले का वहां पर विरोध हो रहा है तो सरकार केवल निंदा करके ही काम चला रही है. कोई सरकार कैसे किसी तत्व को अपनी मनमानी करने दे सकती है ? जहाँ तक न्यायपालिका की बात है तो उसने सार्वभौमिक न्याय के तहत अपना फैसला सुना दिया है. अब बात वहां पर पहले चरम पंथियों और अन्य धर्मों के बीच की है. अच्छा है कि इन लोगों ने भारत नहीं देखा है क्योंकि यहाँ आधे से ज्यादा ताजिये और रामलीलाएं बिना दूसरे समुदाय के पूरी ही नहीं हो पाती हैं. संभव कि जो सद्भाव भारत में जनता के मन में है वह कहीं दूसरी जगह पर देखने को नहीं मिलता है. मलेशिया के सन्दर्भ में एक बात और देखनी होगी कि कहीं अन्य धर्मों को मानने वाले लोग वहां पर "अल्लाह" शब्द का प्रयोग अपने फायदे के लिए तो नहीं कर रहे हैं ? अगर ऐसा है तो सरकार को इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए. केवल एक पक्ष की बात करके कोई निर्णय नहीं किया जा सकता है. इन छोटी छोटी बातों पर सरकार का ध्यान हमेशा ही रहना चाहिए क्योंकि चरमपंथी इस तरह के मामलों का दुरूपयोग भोली जनता को बरगलाने के लिए करने लगते हैं. वहां की सरकार का यह तर्क कि अगर अन्य लोग "अल्लाह" शब्द का प्रयोग करेंगें तो देश में अशांति फ़ैल सकती है कहीं से भी स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि "अल्लाह" का नाम तो सबको सुख, शांन्ति देने वाला है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
हद है!!
जवाब देंहटाएंकोई इन्हें भी सद्बुद्धि दे.
जवाब देंहटाएंया अल्लाह! ये दिन भी देखने पड़ते तुझे, अगर नीत्शे ने तुझे दफना न दिया होता।
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