फिलहाल कुम्भ मेले की तैयारियों के बीच एक ऐसी रिपोर्ट आई है जो गंगा में श्रद्धा रखने वालों के लिए बहुत ही कष्ट देने वाली है. रिपोर्ट के अनुसार इस कुम्भ में गंगा हरिद्वार में भी डुबकी लगाने के लिए सुरक्षित नहीं है. ज्वालापुर में इसकी हालत सबसे बुरी मिली जबकि हर की पैड़ी, सप्त ऋषि आदि स्थानों पर यह मात्रा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों से बहुत अधिक पाई गयी. २५ वर्ष पहले जब राजीव गाँधी ने पहली बार गंगा एक्शन प्लान पर काम किया था तब से आज तक कुछ भी ठोस नहीं किया गया है. यह भी ठीक है कि उस समय उनके प्रयासों से गंगा में प्रदूषण की मात्रा में भी काफी कमी आई थी. आज के समय में केवल सरकार को कोसने से काम नहीं चलने वाला है. तीर्थ स्थलों के स्थायी निवासियों को इस बारे में कुछ ठोस करना ही होगा क्योंकि आज के समय में गंगा के कारण ही हरिद्वार है जब गंगा का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा तो कौन वहां जाना चाहेगा ? क्या हमारी धरोहरों को बचाने की ज़िम्मेदारी भ्रष्ट नेताओं पर डाली जनि चाहिए ? जो जन भावनाओं से खिलवाड़ करके अपने लिए चंद वोटों का जुगाड़ करने में भी नहीं हिचकते हैं उनके लिए किसी की आस्था की क्या कद्र होगी ? अब समय आ गया है कि हम सभी को अपने भरोसे ही कुछ करना होगा तभी जाकर गंगा और देश की अन्य नदियाँ निर्मलता को अपने में समाहित कर पाएंगीं. हम सभी अपने स्तर पर इतना तो कर ही सकते हैं कि किसी भी परिस्थिति में नदियों को गन्दा नहीं करें. कोई भी व्यक्ति बाहर से नहीं आने वाला है हमारी नदियों को साफ करने के लिए.... जब हम स्वयं ही यह सोच लेंगें कि नदियाँ हमारी धरोहर और जीवन हैं तो हम इनको साफ भी रख पायेंगें. हिन्दू दर्शन में नदियों, वनों, पहाड़ों और अन्य बहुत सी वस्तुओं को देव माना गया है क्यों ? सिर्फ इसलिए कि हम इनके साथ सह अस्तित्व की भावना रखें. जीव जंतुओं तक के साथ भी अच्छा व्यवहार सिखाया गया है हमारे ग्रंथों में ... पर हमें अपने आप कुछ भी नहीं दिखाई देता है जब विदेशी चिल्लाते हैं कि गंगा मैली हो रही है तो हरिद्वार में रहने वाले भी चिल्लाने लगते हैं कि भाई अब तो सरकार को कुछ करना ही चाहिए और सरकार को कोस कर हम चुप हो जाते हैं नदियाँ वोट नहीं देतीं वरना उनके पुनर्वास के लिए अभी कई योजनायें आ गयी होतीं. अब भी बहुत देर नहीं हुई है हम सभी चेत जाएँ तो सब कुछ सुधर सकता है और गंगा में फिर से निर्मलता आ सकती है ...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
धर्म के नाम पर पाखंडो ने देश की हालत ख़राब कर दी है ,सडको पर जाम,गंदगी,अरबो रूपये का नुक्सान, कुम्भ हो या कावड मेला गणपति हो या रथ यात्रा, सबने देश को कई १०० वर्ष पीछे धकेला है ,भगवान माता पिता के रूप में घर में विराजमान है, उनकी सेवा छोड़ पाखंडी लोग मेलो की भगदड़ में मरने के लिए भटक रहे है, भगवान परिवार के जीविकोपार्जन के लिए किये जाने वाले कर्म में है, और मुर्ख व कर्म से भागने वाला इंसान उसे पाने को देश के करमशाली किसानो की फसलो को जीवन देने वाली नदियो को प्रदुषित कर रहा है, हरिद्वार में पहुचने वाले करोडो भटके हुए लोगो का मल मूत्र गंगा में बहता है ,इस आत्याचार से माँ गंगा को बचाओ
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट और दीपक जी की टिप्पणी .. दोनो महत्वपूर्ण हैं !!
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