आज के समय में जब सारे नेता किसी भी तरह से जुगत लगा कर अपना प्रचार कराने में ही लगे रहते हैं तो ऐसे में संप्रग अध्यक्षा सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री की तरफ से अपने चित्र का इस्तेमाल बिना अनुमति करने पर सख्ती से पेश आने की घटना अपने आप में अनोखी ही लगती है. यह सही है कि मनमोहन सिंह सदैव से ही इस तरह के हथकंडों से अलग रहे हैं फिर भी नेता में यह गुण अपने आप ही आ जाता है कि उसका गुणगान किया जाये. पहले भी प्रधानमंत्री कार्यालय से ऐसे आदेश जारी हो चुके हैं कि किसी भी सरकारी विज्ञापन में उनके चित्रों का प्रयोग अनावश्यक रूप से नहीं किया जाये. अब ताज़ा मामला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से जुड़ा हुआ है. पूरे देश में प्राधिकरण ने उनकी फोटो लगाने कि अनुमति मांगी थी जिसे नहीं प्रदान किया गया. यह सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसकी सरकार चल रही है कुछ हद तक नयी योजनाओं के बारे में जनता को बताया जाना चाहिए पर केवल सरकारी खर्चे से व्यक्तिगत विज्ञापन को किसी भी स्तर पर उचित नहीं कहा जा सकता है.
आज देखा जाये तो पता नहीं कितने रूपये केवल इस तरह की चरण वंदना में ही बहा दिए जाते हैं जबकि इस तरह के मामलों का कोई मतलब नहीं होता है. देखा जाये तो यह पैसा किसी भी तरह के विज्ञापन के बजाय किसी अन्य विकास से जुड़े मद में खर्च किया जा सकता है. फिलहाल देश में इस तरह कि सोच विकसित हो रही है यह अच्छी बात है पर इस बात को राज्यों तक पहुंचाए जाने की आवश्यकता है तभी कुछ सही किया जा सकेगा....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
शायद इसीलिए तस्वीरों का ऐसा टोटा पड़ गया कि पाकिस्तानी वायुसेनाप्रमुख की तस्वीर लगानी पड़ गयी.
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