मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 11 मार्च 2010

उत्तर प्रदेश की माया ...

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से पुलिस प्रशासन और सरकार काम कर रहे हैं उसे देखकर तो अच्छे अच्छों को भी चक्कर आने लगें. लखनऊ में होली के दिन जिस तरह से ४ बच्चों को माया के पोस्टर पर कालिख पोतने के मामले में हिरासत में लिया गया उसने बर्बरता की सारी मिसालें तोड़ दीं. पुलिस ने सैनिक स्कूल के बच्चों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने सरकारी काम में अडंगा लगाया है. उल्लेखनीय है कि ये चारों बच्चे इंटर की परीक्षा अब जेल से ही दे रहे हैं. सारे मामले की तह तक जाने से यह पता चला कि स्थानीय कोतवाली के कोतवाल किसी का दाखिला इस विद्यालय में करना चाहते थे पर नियमों के कारण उन बच्चों का काम नहीं बन सका और कोतवाल साहब की कोतवाली मासूमों के खिलाफ़ अचानक सक्रिय हो गयी. स्कूल प्रशासन का कहना है कि हमारे बच्चे इस तरह की कोई हरकत नहीं कर सकते हैं और बच्चों के अभिभावक इस सारे मामले से सकते में हैं.
      आज प्रदेश में कानून के नाम पर जो गुंडाराज चल रहा है  कोई उसको देखने वाला नहीं है ? कोतवाल ने बच्चों पर ऐसी धारा लगाने का प्रयास किया जिससे उनके भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया. आज के समय में प्रदेश में कुछ भी करना हो दलित एक्ट और मायावती का सहारा लेकर कुछ भी कर दो ! देश में दलितों की सुरक्षा के लिए इन कानूनों को बनाया गया था और बनाने वालों ने ऐसा कभी नहीं सोचा होगा कि इसका इस स्तर पर सरकारी तंत्र द्वारा ही इतना दुरूपयोग किया जायेगा ? आज भी आंकड़े दिखाते हैं कि प्रदेश में दलितों को जगाने का दम भरने वाली मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए ही सबसे ज्यादा दलितों पर ही अत्याचार हो रहे हैं. क्या कारण है कि सरकार इन पर रोक नहीं लगा पा रही है ? एक वजह तो साफ़ है कि जब कानून का इस दर्ज़े तक मज़ाक उड़ाया जा रहा हो तो कानून का भय कहाँ से आएगा ? क्या कानून केवल सत्ता की धमक को दिखाने के लिए ही होना चाहिए ? बरेली शहर में तो कानून है ही नहीं वहां तो अराजक तत्वों का बोलबाला है और कानून के रखवाले शांति नहीं रख पा रहे हैं और पूरे प्रदेश में शांति और भाईचारे की बात करने में इनको शर्म भी नहीं आती. सन्देश बिलकुल साफ़ है कि जब कभी प्रशासन को अपना काम नहीं करने दिया जाता और उसमें अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाता है तो उसकी दशा क्या हो जाती है यह पूरे उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है.  

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्ल जी, क्या कहे चोर चोर मौसेरे भाई, इसको हटाओगे तो दूसरा जो आएगा वो भी गुंडा राज ही चलाएगा. देश, कानून, न्याय के ये बलात्कारी कितने स्वछंद रूप से अपने घिनोने कार्यो को अंजाम देते है. पूरा सरकारी महकमा इनके तलुवे चाटने में ही लगा रहता है. और सबसे आश्चर्य की बात तो ये है की इतने कमीनेपन के बाद भी लोग ऐसे नेताओ को वोट देते है और खुले आम उनका समर्थन करते है.

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  2. क्या कहा जाये...सिवाय अफसोस दर्ज करने के.

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  3. पुलिस को खत्म कर देने से ही आधे अपराध खत्म हो जायेंगे क्योंकि लोग फिर अपने आप अनुशासित होने लगेंगे और पुलिस का जो संरक्षण अपराधियों को प्राप्त है और जो अपराधी पुलिस में आ चुके हैं वह खत्म हो जायेंगे.

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