मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 28 मार्च 2010

पाक ने की तालिबान से तौबा..

कभी क्या आज भी तालिबान का सबसे बड़ा समर्थक अब उनके नियंत्रण से बाहर हो जाने पर पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यह कहा है कि अब हम नहीं चाहते कि अफगानिस्तान में कभी तालिबान का शासन हो. एक समय था जब पाक ने पूरे जोश से इन तालिबानों की मदद की थी और आज जब तालिबान मज़बूत होकर पाक पर ही हमले कर रहे हैं तो पाक को अपना वज़ूद ही ख़तरे में दिखाई देने लगा है. क्या पाक को यह नहीं पता था कि जिस आग से वे भारत को झुलसाने की तैयारी कर रहे हैं वह कभी न कभी उनके दामन तक भी फैलने वाली है ? आज पाक में रोज़ ही होने वाले हमले उसके नागरिकों का जीना हराम किये हुए हैं. पाक के कुछ हिस्सों में तो मुसलमान नागरिक जुमे के दिन की नमाज़ भी बंदूकों के साये में भी अदा नहीं कर पा रहे हैं. क्या भारत में ऐसा कहीं है कि मुस्लिम समुदाय को इतने प्रतिबन्ध झेलने पड़ रहे हों ? इराक और अफगानिस्तान की आग आज पाक तक आ चुकी है ? सवाल यह भी है कि आखिर इन इस्लामी देशों में कौन ताकतें नमाज़ पढ़ते हुए आम लोगों को फ़िदायीन हमले में मार रही हैं ?
        इन सारे सवालों का किसी के पास कोई जवाब नहीं है और जिस तरह से आज भी अमेरिका पाक को चुग्गा दाल रहा है उससे तो यही लगता है कि आज भी अमेरिका के पास कोई ठोस नीति नहीं है वह केवल आज के सन्दर्भ में ही पाक का साथ दे रहा है. पाक को किसी भी तरह की सैन्य मदद आख़िर में पूरी दुनिया के लिए सर दर्द का कारण बनने वाली है यह कुछ पश्चिमी रण नीतिकारों को अभी भी नहीं दिखाई दे रहा है. अच्छा हो कि पाक केवल बयान बाज़ी बंद कर आतंकियों के विरुद्ध कुछ ठोस काम भी करे और अपनी ज़मीन से किसी भी तरह के आतंक को पनाह देना छोड़ दे. कश्मीर के नाम पर जो जिहाद पाक के लोगों के मन में है उससे भी उन्हें बाहर निकलना होगा और देखना होगा कि भारत का कश्मीर पाक अधिकृत कश्मीर से कितना सुन्दर खुला और प्यारा है.         

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