अगले हफ्ते सार्क देशों की बैठक में भाग लेने के लिए थिम्पू जाने पर मनमोहन सिंह और गिलानी के बीच बात चीत का कोई कार्यक्रम अभी नहीं बन सका है. भारत सरकार ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है कि अभी तक पाक से कोई प्रस्ताव भी नहीं मिला है. मुंबई हमलों के बाद से ही भारत ने पाक के साथ सभी तरह की बात चीत बंद कर रखी है. यह सभी जानते हैं कि पाक में मौजूद आतंकी ढांचे भारत के खिलाफ किस तरह से काम करते रहते हैं और इस तरह की किसी भी गतिविधि के चलते किसी आतंक को समर्थन देने वाले देश से कैसे बात की जा सकती है जब वह हमारे पूरे देश में अपने कुचक्र को रच रहा हो ? पाक को यह बात ठीक से समझनी होगी कि भारत के खिलाफ़ आतंकियों को हर तरह की सुविधाएँ देते हुए अब वह किसी भी तरह की बात करने का अधिकारी नहीं रहा है ? अगर पाक को लगता है कि भारत के साथ उसके रिश्ते सामान्य हों तो उसे आने यहाँ के आतंकी ढांचे को समाप्त करना ही होगा और इस बार केवल अमेरिका को दिखने के लिए ही अगर यह सब किया जाता है तो उसका कोई असर नहीं होने वाला है. मुंबई हमलों के बाद से पाक के खिलाफ़ जिस तरह का माहौल बना था वह अभी भी क़ायम है और बिना किसी ठोस कार्यवाही के पाक से कोई भी बात करने का ख़तरा सरकार नहीं ले सकती है.
अब भी समय है कि पाक चेत जाये क्योंकि रोज़ होने वाली चिक चिक से परेशान होकर कभी अगर भारत ने यह तय कर लिया कि उसे खुद ही आतंकियों के खिलाफ़ कुछ करना है तो इस क्षेत्र में अचानक ही एक विनाश का युद्ध शुरू हो सकता है. पाक को अब यह भी समझना चाहिए कि भारत के साथ वैसे सम्बन्ध नहीं रखे जा सकते हैं जैस वह अमेरिका के साथ रखता है. भारत उसके आतंकवाद को झेल रहा है जबकि अमेरिका को केवल एक बार ही यह सब झेलना पड़ा है. मुस्लिम देशों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अमेरिका को पाक जैसा पिट्ठू चाहिए और इसीलिए वह आँखें बंद कर पाक को पैसा और हथियार देता रहता है जबकि उसे पता है कि इसका बहुत बड़ा हिस्सा आतंकियों तक पहुँच जाता है. फिल हाल यह तो तय है कि मनमोहन सिंह थिम्पू में अपनी तरफ से रिश्तों में आई ठंडक में कोई गर्मी नहीं लाना चाहेंगें क्योंकि इस समय संसद में अन्य दल उन्हें किसी भी ऐसे कदम के उठाने पर अमेरिका के दबाव की बात करने से नहीं चूकेंगें. वैसे भी इतने दिनों से बात चीत बंद होने से कोई विशेष नुकसान भी तो नहीं हो रहा है ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बंद है तो ही शांति है ऐसा लगता है.
जवाब देंहटाएंमुंबई हमलों के बाद से पाक के खिलाफ़ जिस तरह का माहौल बना था वह अभी भी क़ायम है और बिना किसी ठोस कार्यवाही के पाक से कोई भी बात करने का ख़तरा सरकार नहीं ले सकती है.
जवाब देंहटाएं