भूटान की राजधानी थिम्पू में शुरू हुए दक्षेस देशों के १६ वें शिखर सम्मलेन में सभी देश एक साथ फिर से बैठ रहे हैं पर अभी तक इस संगठन को जितना सहयोग वास्तव में कर लेना चाहिए थे अभी वह नहीं हो पाया है. अब भी समय है कि एक दूसरे की टांग खींचने के स्थान पर सहयोग को वास्तव में धरातल पर उतारा जाए. अभी तक जो मुद्दा सबसे ज्यादा खलता है वह यही है कि आतंक के मुद्दे पर पाक और बांग्लादेश के साथ कभी भी कोई सार्थक बात नहीं हो पाई. अब समय है कि इस पूरे प्रकरण को केवल भारत से ही नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सभी देशों को इस बात पर ध्यान देना ही होगा कि आखिर आतंक के इस दानव से कैसे बचा जाए. पाक और बांग्लादेश चाहे जितनी सफाई दें पर सभी जानते हैं कि कुछ आतंकी संगठन उनके यहाँ से पूरा समर्थन पाते हैं. जब तक इन मुद्दों पर पूरी बात नहीं होगी तब तक सभी दक्षेस देश एक दूसरे के प्रति सशंकित ही रहेंगें. आज के समय में अगर देखा जाए तो शायद भूटान ही एक ऐसा देश है जो इस आतंके से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं है बाकि के सारे देश इस आग में झुलस ही रहे हैं.
यह सही है कि जब इस संगठन की नींव पड़ी थी तो केवल भारत के पंजाब में ही आतंक ने अपने पैर पसार रखे थे पर आज इतने सालों के बाद सभी देश इसकी आंच को महसूस कर रहे हैं अब यह बहुत आवश्यक है कि आतंक को भारत द्विपक्षीय न मानकर पूरे क्षेत्र की समस्या के रूप में सबके सामने रखे और अब इस पर पूरी चर्चा भी कराने का प्रयास करे. आज बिना आतंक पर चर्चा के यह संगठन कोई नए मानदंड स्थापित नहीं कर पायेगा क्योंकि यहाँ पर अधिकतर देश एक दूसरे के प्रति शंकालु ही बने रहते हैं. जब खुले दिल से मिलन होगा तभी सच्चे अर्थों में कोई सार्थक कदम उठाये जा सकेंगें. दक्षेस के बाद बने बहुत सारे संगठनों ने कम समय में बहुत सहयोग कर लिया है पर हमारा यह संगठन अभी भी केवल दिखावे का ही बना हुआ है. अब भी समय है अगर कोई ठोस प्रयास नहीं किये गए तो यह संगठन केवल नेताओं के इकट्ठे होने का मंच ही बन जायेगा और यहाँ पर कोई जनता की समस्याएं दूर करने वाले काम नहीं हो सकेंगें. फिलहाल व्यापर के मुद्दे पर पाक का रवैय्या भी ठीक नहीं रहता है. आखिर कब तक केवल भारत सहयोग की बातें करता रहेगा और पाक अपनी मनमानी ? दक्षेस के नियमों के तहत जो सुविधायें भारत को पाक से मिलनी चहिये अभी तक उसने नहीं दी हैं जबकि भारत उन सारी रियायतों की घोषणा पहले ही कर चूका है. अब भी समय है चेत जाना चाहिए जिससे संगठन और क्षेत्र की आवाज़ दुनिया सुनती रहे.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
एक जानवर है जिसकी की पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती, भारत सरकार एक विशेष वर्ग की नाराजगी से बचने के लिए पूंछ को सीधा करने का दावा करके कार्यकाल पूरा करने में जुटी है
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