जब हर तरफ आतंक से पीड़ितों की सहायता की बात की जाती हो तो ऐसे में एक ऐसे व्यक्ति का देश की सर्वोच्च प्रतिष्ठित सिविल सेवा में अव्वल आना जिसके पिता की हत्या भी आतंकियों ने कर दी हो अपने आप में बहुत सुखद है. कुपवाड़ा जिले के फ़ैसल शाह ने अपनी विपरीत परिस्थियों में भी जिस तरह से देश की इस सेवा में अपने को सबसे आगे रखा वह बहुत कुछ कह जाता है. यह उसकी लगन और कुछ करने की चाह को और मज़बूत करता है साथ ही पाक के इस दुष्प्रचार को भी झूठा साबित करता है कि भारत में कश्मीरियों के साथ भेद भाव किया जाता है. इससे यह बात साबित हो जाती है कि भारत में हर तरह की प्रतिभा के लिए अपार अवसर हैं और देश के किसी भी हिस्से में रहने वालों के लिए यह सामान रूप से खुले हुए हैं. हर एक के लिए सिविल सेवाएं हमेशा से ही एक सपना रहती हैं और इनमें चुना जाना ख़ुद में ही बहुत महत्वपूर्ण होता है फिर इसमें भी अव्वल आना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी बात है. सारा देश फ़ैसल के इस जज़्बे को सलाम करता है क्योंकि जिन परिस्थियों में लोग टूट जाते हैं उसने उस समय अपने को और मज़बूती से खड़ा करने में सफलता पाई.
भारत ही विश्व में एक मात्र जगह है जहाँ हर एक के लिए पूरी स्वतंत्रता है. फ़ैसल का अव्वल आना उन कश्मीरियों के लिए भी बहुत बड़ा सुकून लेकर आया है जो बड़े सपने देखते हैं और आतंक के इस कुचक्र से कश्मीर को बाहर निकालना चाहते हैं. एक फ़ैसल ही उन लोगों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बन सकता है क्योंकि अभी तक नयी पीढ़ी को यही लगता है कि उनके लिए भारत के पास केवल गोलियां ही हैं ? १९८९ के बाद से आये हर बदलाव के बाद जन्मी पीढ़ी ने आतंक का बहुत बुरा समय अपनी आँखों से देखा है तो उनके लिए यह सब वास्तव में सपने से कम नहीं है. यह आतंकियों के उस दुष्प्रचार पर करार तमाचा है कि भारत तुम्हें कुछ नहीं दे सकता. इस्लाम के नाम पर पाक ने कश्मीर के अपने वाले हिस्से में जो कुछ कर रखा है वह वहां से आने वाले कश्मीरी बताते हैं और जब वे यहाँ का खुलापन और विकास देखते हैं तो उन्हें ख़ुद ही समझ आ जाता है कि पाक जो कहता है उसमें कितनी सच्चाई है ? फिलहाल तो फ़ैसल ने यह दिखा ही दिया कि जहाँ चाह होती है वहां कोई भी राह मुश्किल नहीं होती है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
लगातार आतंक के साए में जीना वाले फैज़ल की यह सफलता सराहनीय है ...!!
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