मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 26 मई 2010

डाकू और हरियाली

उत्तर प्रदेश के औरैया में पारिस्थितिकी पूरी तरह से बिगड़ने के कगार पर है पहले किसी समय यहाँ पर स्थानीय पेड़ पौधों खैर, करौंदा, छोटी बबूल, शीशम और कैथा की बहुतायत मिलती थी पर जंगलों से डाकुओं का सफाया होने के बाद वन माफियाओं ने इन इलाकों में घुसना शुरू कर दिया और भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के साथ गठ-जोड़ करके पूरे इलाके में रेगिस्तान के फैलाव को बहुत बढ़ा दिया है. आज के समय में वन संपत्ति पर माफियाओं की नज़र बहुत तेज़ी से पड़ती है और वे अँधा धुंध काटन करके धरती को बिलकुल नंगा किये दे रहे हैं. देश और राज्य में वन संपत्ति को बचाने के लिए बाकायदा एक मंत्रालय है और इसके साथ ही पूरा अमला मौजूद है जिसके कारण ही शायद आज पूरे वन क्षेत्रों पर भयानक संकट आ चुका है.
       ऐसा नहीं है कि केवल उत्तर प्रदेश में ही ऐसी घटनाएँ हो रही हैं पूरे देश में जहाँ पर भी वन संपत्ति अधिक मात्रा में है वहाँ पर इनका अवैध उपयोग किया जा रहा है. प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में भी लकड़ी के अवैध कटान के बारे में सभी जानते  हैं पर सरकारों के पास शायद इन सब बातों के लिए समय ही नहीं है. एक ऐसी सरकार जिसने स्वयं राजधानी में गोमती नदी के प्राकृतिक स्वरुप को पूरी तरह से बिगाड़ के रख दिया हो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है कि कहीं दूर दराज़ के क्षेत्र में होने वाले इन अवैध कामों पर उसकी नज़र भी पड़ पायेगी ? बुंदेलखंड का काफी बड़ा हिस्सा पानी की कमी और मानसून के रूठने से बहुत समस्या में घिरा हुआ है. इस तरह से हम खुद भी वहां के प्राकृतिक स्वरुप को और बिगड़ने में लगे हुए हैं जिससे समस्या और भी विकट होती चली जा रही है. देश में चाहे जो भी होता रहे पर इस तरह के कामों में सरकारों पर जब तक दबाव नहीं पड़ता है तब तक कुछ भी नहीं हो सकता है. जब तक हम जनता के लोग अपने आस-पास के पर्यावरण पर खुद ही ध्यान देना शुरू नहीं करेंगें तब तक कोई भी हमारी मदद नहीं कर पायेगा.
         आज समय है कि हम अपनी ज़िम्मेदारी समझें और केवल किसी क्षेत्र विशेष के बजाय पूरे देश को अपना माने और इस बात के लिए जागरूक हो जाएँ की अब इस तरह से अवैध रूप से होने वाले कटान के लिए कुछ अवश्य करेंगें. आज समय ऐसा है कि पता नहीं है कौन अधिकारी किससे मिला हुआ है इसलिए भी जनता किसी माफिया के सामने नहीं आना चाहती है. देश को आवश्यकता है एक ऐसी संस्था की जो स्वयंसेवकों से बनी हो और जिसकी किसी भी शिकायत और सुझाव पर तुरंत कार्यवाही करने के आदेश भी दिए जाएँ तभी जनता से जुड़े हुए लोग अपने साथ चलकर कुछ ठोस काम कर पाने में सफल हो सकेंगें. 

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. आज समय है कि हम अपनी ज़िम्मेदारी समझें और केवल किसी क्षेत्र विशेष के बजाय पूरे देश को अपना माने और इस बात के लिए जागरूक हो जाएँ की अब इस तरह से अवैध रूप से होने वाले कटान के लिए कुछ अवश्य करेंगें.


    -बस, इसी की जरुरत है!!

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  2. वनों को काटने वाले अपनी अगली पीढ़ी को रेगिस्तान देना चाहते है, इनको कोई परवाह नहीं कोई मरे

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