अब भी शायद हमारे में से बहुत सारे लोग इतना भी नहीं समझ पायेंगें कि इस देश में कैसे विचार करने योग्य मुद्दों को घटिया राजनीति में फंसा कर उसको मूल मुद्दे से भटका दिया जाता है. भोपाल कांड में जिस तरह से अब राजनीति ने सामने आकर असली मुद्दे को भटकाने की कोशिश की जा रही है वह किसी भी तरह से देश के हित में नहीं है. आज की परिस्थिति में सभी जानते हैं कि अर्जुन सिंह के रिश्ते गाँधी परिवार से अच्छे नहीं चल रहे हैं और यदि कहीं से भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के खिलाफ कुछ भी होता तो वे अवश्य ही बोल देते ? फिर भी जिस तरह से देश के सारे नेता आज की स्थिति में अर्जुन सिंह को ही दोषी बता रहे हैं और इस बात का कोई सूत्र खोजने में लगे हुए हैं कि कहीं से राजीव गाँधी के खिलाफ कुछ कहने लायक मिल जाये जिससे उनको और सोनिया राहुल के खिलाफ कुछ कहा जा सके. न्याय भी उस व्यक्ति के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहता जो अपनी बात रखने के लिए नहीं आ सकता है.
देश के नेता जितनी ऊर्जा इस तरह की बातों को खोजने में लगाये दे रहे हैं कि कहीं से कुछ मिल जाये अगर उतनी ऊर्जा का इस्तेमाल सख्त कानून बनाने में लगायी जाए और इस केस को अगली अदालतों में मजबूती से लड़ने का संकल्प लिया जाये तो वास्तव में पीड़ितों की सही मदद की जा सकती है पर क्या एक दूसरे पर कीचड़ उछालने से फुर्सत मिलने पर ये नेता कुछ ठोस करना भी चाहते हैं ? शायद नहीं क्योंकि अभी तक के सार्वजानिक जीवन में सोनिया राहुल के खिलाफ कुछ नेताओं को अभी तक गलत नहीं मिला है और शायद इस मामले में अर्जुन सिंह भी निर्दोष ही हों ? पर अभी भी देश के नेता यही नहीं समझ पाए हैं कि किस तरह से देश पर संकट आने के समय एक जुट होकर काम करने की आवश्यकता होती है ? अमेरिका इस बात को जनता है और उसे यह भी पता है कि वर्तमान कानूनों के चलते एंडरसन को भारत सौंपना उसकी मजबूरी नहीं है और उसे यह भी पता है कि कुछ शगूफा छोड़कर भारत के नेताओं का ध्यान आसानी से बंटाया जा सकता है. कल तक जो भोपाल कांड के दोषियों को एक सुर से सजा दिलाने की बातें कर रहे थे वे आज एक दूसरे के खिलाफ सबूत जुटाने में लगे हुए हैं ? अमेरिका को और क्या चाहिए ?
देश के नेताओं की नौटंकी दुनिया बोफोर्स मामले में भी देख चुकी है और भाजपा सरकार में रहते हुए भी राजीव गाँधी के खिलाफ कुछ भी ढूंढ नहीं पाई जिससे यह लगता हो कि वे किसी भी तरह की दलाली में सम्मिलित थे ? कारगिल युद्ध के समय उन्हीं बोफोर्स तोपों ने जब देश के दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए तब जाकर देश को भी यकीन हो गया कि राजीव गाँधी का बोफोर्स तोपें खरीदने का फैसला कितना सही था और कितनी जांचें किये जाने के बाद ही उनको खरीदा गया था. जब भाजपा के नेता लाहौर बस यात्रा कर रहे थे तब केवल बोफोर्स और हमारे जांबाज़ जवानों ने ही देश के सम्मान की रक्षा की थी.
अच्छा होगा कि इस तरह के घटिया आरोप-प्रत्यारोपों से बचा जाये और एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस तरह से घटने वाली किसी भी घटना से कैसे निपटना है और कानून में किस तरह के संशोधन किये जाने हैं इस पर संजीदगी से विचार किया जाये.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सोनिया गाँधी के नेतृत्व में चल रही दिल्ली सरकार आखिर क्यों विदेसियो पर बार बार मेहरबान होती है? पहले बोफोर्स टॉप सौदे में दलाली खाने वाले इटली के क्वात्रोची को बचाने में सारे कांग्रेसी जुटे रहे, अब भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडरशन को इस तरह बचाया जा रहा है मानो वह भारत सरकार का मेहमान हो, दलितों व मजदूरो का हितेषी बनने का ड्रामा करने वाले राहुल गाँधी ये बताये की हजारो मजदूर परिवारों को मौत की नींद सुलाने वाले एंडरशन को उनकी सरकार ने देश से जाने क्यों दिया, क्वात्रोची की तरह ही एंडरशन को भी बचाने की तेयारी क्यों हो रही है, यह सरकार राहुल सोनिया के इशारे पर चल रही है, लेकिन विवादित मामले आते ही ये दोनों दुबक जाते है, ताकि जो छवि ख़राब होनी हो वो बेचारे सरदार मनमोहन सिंह की हो और युवराज व महारानी की छवि चुनावो में जनता को दिखने के लिए बची रहे, बाद में मनमोहन सिंह का भी वो ही हाल होना है जो इस गाँधी परिवार और उसके चमचो ने पी वी नर्सिगराव का किया था,सारे दोष सरदार जी के सर पर डाल कर ये माँ बेटा फिर जनता का मानसिक शोषण करने मैदान में आ जायेगे, लेकिन काठ की हांड़ी बार बार नहीं चढ़ती ये इटली की नहीं हिन्दुस्तान की कहावत है, एंडरशन को पकड़ कर लाओ क्वात्रोची पर फिर से मुकदमा चलाओ तभी देश की जनता तुम्हे माफ़ करने पर विचार करेगी
जवाब देंहटाएंaajneeti samajh nahi aati ktna dimaag jo nahi chal pata...par jo kuch ho raha hai theek nahi hai...hamein bhaat ko aage badhana hai na ki apna ullu seedha karna hai...raajnetaon ko samajh lena chahiye ki janta jaag gayi to bahugt mehnga padega
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