एक स्वतंत्र एजेंसी के सर्वेक्षण में आई एस आई और तालिबान के संबंधों का खुलासा किया गया है जिसके बाद पाक ने अपनी चालें चलनी शुरू कर दी हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तालिबान और पाक खुफिया एजेंसी में गुप्त समझौता है कि वे एक दूसरे की मदद करते रहेंगें. इस बात का सारी दुनिया को पता है पर अमेरिका ने अभी तक इस तरफ से आँखें बंद कर रखी हैं. भारत हमेशा से ही यह बात कहता रहा है कि इस तरह के गठबन्धन ही दक्षिण एशिया में शांति नहीं आने दे रहे हैं. कश्मीर में सारी खुराफ़ात के पीछे पाक और इसकी खुफिया एजेंसी ही है.
जैसा कि पता था कि पाक किसी भी स्थिति में इस बात को स्वीकार नहीं कर सकता है और उसने पूरी ताक़त के साथ इसका खंडन भी किया है. सर्वे करने वाली संस्था ने आतंकियों को यह कहते हुए भी उद्धृत किया है कि अप्रैल माह में खुद ज़रदारी जेल में इन आतंकियों से मिलने गए थे और इन्हें पूरे समर्थन की बात कह कर आये थे. अब बाक़ी चाहे कुछ होता रहे पाक तो अपनी गतिविधियाँ बंद नहीं करने वाला है. आज भी समय है कि अमेरिका पाक को स्पष्ट शब्दों में यह समझा दे कि यदि अब भी वह नहीं सुधरा तो आगे आने वाले समय में वह सारी दुनिया में बहुत अकेला पड़ने वाला है और जिन तालिबानियों को वे अपना मानकर बैठे हैं बहुत जल्द ही वे पाक की सरकार पर कब्ज़ा करने की फ़िराक़ में हैं.
पाक किस तरह से अफ़गानिस्तान और भारत में सरकारों के ख़िलाफ़ अपने सरकारी का तंत्र का दुरूपयोग कर हिंसा फ़ैलाने में लगा हुआ है वैसी दूसरी कोई मिसाल नहीं मिल सकती है. भारत के हिन्दू बहुल होने से उसको दिक्क़त है पर अफ़गानिस्तान में पाक को धर्म में क्या कमी दिखाई देती है ? शायद कुछ भी नहीं क्योंकि उसका काम केवल अनैतिक कामों को बढ़ावा देना ही है. अफगानिस्तान में जिस तरह से नशे के कारोबारियों को पाक का समर्थन रहता है उसे और क्या कहा जा सकता है ? इस्लाम में नशे को बहुत बुरा कहा गया है पर इस्लाम के नाम पर बना एक देश पाक किस तरह से नशाखोरों का साथ देकर इस्लाम की कौन सी परिपाटी को निभाना चाहता है ? उसकी इस तरह की गतिविधियों से और कुछ नहीं होता वरन इस्लाम के बारे में दूसरों को गलत छवि बनाने और बताने का अवसर मिल जाता है. केवल राजनीति के लिए धर्म का प्रयोग हमेशा से ही ख़तरनाक रहा है पर पाक आज भी यह समझ नहीं पा रहा है और अपने अस्तित्व और इस्लाम की मूल भावना को संकट में डाल रहा है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
पाकिस्तान को यूं ही मदद जारी रहेगी. जब भारत ही कुछ नहीं करने की स्थिति में है तो क्या किया जाये, एक लुंज पुंज स्टेट के नेताओं से क्या अपेक्षा रखी जा सकती है..
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