छत्तीसगढ़ में सरकार के एक जनहित याचिका के विरुद्ध बोलने पर सर्वोच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति द्वय ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि ५० % जिलों में किसी सरकार का शासन नहीं चलता है तो राज्य सरकार किस बिल को और कहाँ लागू करवाने की बातें कर रही है ? राज्य सरकार का कहना था कि उसने बड़े परिश्रम से बाल न्याय अधिनियम को लागू करने का प्रयास किया है जिसके लिए जिलों में बाल कल्याण बोर्ड का गठन भी किया जा चुका है. राज्य सरकार के इस दावे पर ही कोर्ट ने यह टिपण्णी करते हुए कहा कि आप परिश्रम की बात करते हैं जबकि वास्तविकता यह है आधे से अधिक राज्य पर आपका शासन ही नहीं है ?
आम तौर पर न्यायालय और माननीय न्यायमूर्ति इस तरह की किसी भी टिप्पणी को करने से परहेज़ करते हैं पर राज्य सरकार की अक्षमता के बीच बड़े-बड़े दावे शायद कोर्ट को हज़म नहीं हुए तभी उन्होंने इस तरह की टिप्पणी कर दी. यह सही है कि आज भी रमन सरकार को जिस तरह से काम करना चाहिए था नहीं कर पा रही है जबकि केंद्र की तरफ से सभी नक्सल प्रभावित राज्यों को पूरी सहायता देने का भरोसा दिलाया जा चुका है. यह भी सही कि चिदम्बरम पूरी ईमानदारी से बिना वोटों का लालच किये कुछ कदम देश हित में उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं पर राज्य सरकारों के कम सहयोग के कारन ही पूरी योजना ठीक तरह से लागू नहीं हो पा रही है. यह सही है कि रमन सिंह एक कुशल प्रशासक साबित हुए हैं पर पता नहीं क्यों अभी तक नक्सल विरोधी अभियानों में उनका काम बहुत आशाजनक नहीं रहा है उनके द्वारा शुरू किये गए सलवा जुडूम की बहुत आलोचना भी हुई थी हालांकि यह एक बहुत अच्छा प्रयास था जिसके काफी अच्छे परिणाम भी सामने आये थे. पर कहीं न कहीं राज्य सरकार उस बढ़त का लाभ नहीं ले पाई और मामला फिर से नक्सलियों के पाले में चला गया है.
यह भी सही है कि नक्सली समस्या का हल कोई भी राज्य सरकार चुटकी बजाते नहीं कर सकती है फिर भी कभी न कभी तो इस बात पर पूरी सख्ती करनी ही होगी कि जो लोग पिछड़ेपन को मुद्दा बनाते हैं वही विकास के विरोधी क्यों बने हुए हैं ? अगर नक्सलियों को इस बात से समस्या है कि विकास नहीं हो रहा है और उनके क्षेत्र के लोग पिछड़े हैं तो इसके लिए उनको विकास कि गतिविधियों का सहयोग करना चाहिए पर हर जगह पर आम आदमी को निशाना बनाकर केवल अपने हितों को साधने का काम ही केवल किया जा रह है ? देश में बहुत सारी समस्याएँ हैं जिनका तोड़ एक झटके में कोई नहीं निकाल सकता है पर उसके लिए किये गए किसी भी प्रयास को वोटों का चश्मा उतार कर देखने से ही बात सुधर सकती है पर हर दल और नेता के अपने हित हैं तो देश के बारे में कौन सोचना चाहता है ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
चिदम्बरम तो खुद कह चुके है की उनके हाथ बांध रखे है, फिर डॉ रमन की सरकार ही दोषी कैसे है, कांग्रेस की केंद्र सरकार की गलत नीति के कारण सीआरपीएफ के जवान शहीद हो रहे है फिर भी सेना नहीं लगाई जा रही,बस बीजेपी सरकार को कोसने का काम हो रहा है. देश का भाग्य लिखने गलत और विदेशी नस्ल के लोग बैठे है जिन्हें नहीं पता की जवान जब मरता है तो उसके परिवार की भरपाई मुआवजा नहीं कर सकता....
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