कश्मीर घाटी में जिस तरह से वर्तमान स्थिति की समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि वहां पर काम कर रहे सभी मोबाइल सेवा प्रदाताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करके सिम बेचे जा रहे हैं उसको केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बहुत सख्ती से लिया है. इस सम्बन्ध में आज सोमवार को केन्द्रीय गृह सचिव जी के पिल्लई आज घाटी में सेवा दे रहे सातों प्रदाताओं के साथ एक आकस्मिक बैठक बुलाई है. इसमें सरकार के इस आदेश की समीक्षा की जाएगी कि आख़िर किन परिस्थितियों में ये सभी सिम सत्यापन के काम में इतनी ढ़िलाई बरत रहे हैं ? साथ ही इन सभी को इस बात से भी अवगत कराया जायेगा कि उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जा सकती है या फिर आई पी सी कि धारा १२१ के तहत कार्यवाही की जा सकती है जिसका अर्थ यह है कि उन पर देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप भी लगाया जा सकता है ?
यह सही है कि केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर बहुत सारे ऐसे काम भी किये हैं जिनसे इन मोबाइल वालों को कुछ दिक्कतें तो आती ही हैं पर देश की सुरक्षा में किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जा सकता है. अपने आदेश के अनुपालन की जांच करने के लिए केंद्र सरकार ने गोपनीय तरीके से ५०० सिम के पतों की जांच करायी जिसमें ६५ % पते ग़लत पाए गए. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये सभी प्रदाता केवल बाज़ार के दबाव में आकर ही काम कर रहे हैं या केवल सरकार की बातें सुनी जा रही हैं और उन पर अमल करने के स्थान पर बिना किसी सत्यापन के ही सिम बेचे जा रहे हैं ?
अब इस मामले को केवल घाटी से जोड़कर नहीं देखना चाहिये क्योंकि यही हाल पूरे देश का है इस खेल में ये प्रदाता खुद ही खुदरा विक्रेताओं के लिए ऐसे काम करने का रास्ता खोल देते हैं जिससे पूरे देश की सुरक्षा दांव पर लग जाती है ? समय समय पर ये प्रदाता सिम की बिक्री पर विभिन्न योजनायें लाते रहते हैं पर बाज़ार में इतनी अधिक मारा मारी होने के कारण उस समय सीमा में उतने ग्राहक जुटाना किसी के बस की बात नहीं रह जाती है बस लालच के इस खेल की शुरुआत और सुरक्षा में सेंध यहीं से लगनी शुरू हो जाती है ? योजना का लाभ लेने के लिए कोई भी खुदरा विक्रेता फर्जी फोटो और पते को दिखाकर लाभ उठा लेता है और उन सिम की बिक्री बाद तक करता रहता है ? यह मामला जितनी आसान लगता है वास्तव में उतना आसान तो है पर इससे देश में कोई भी कहीं से भी बना किसी पूछ ताछ के आसानी से किसी भी सेवा प्रदाता का सिम पा सकता है ?
अच्छा ही हुआ कि केंद्र सरकार केवल आदेश देकर ही चुप नहीं हो गयी उसने इसके अनुपालन की भी जांच करायी जिस कारण से यह बात सामने आई. अब सरकार को इस मसले को केवल कश्मीर घाटी के परिप्रेक्ष्य में ही नहीं देखना चाहिए किसी भी तरह से केवल कहने से बात नहीं बनने वाली है इन सेवा प्रदाताओं को पूरे देश के लिए यह समझा दिया जाना चाहिए कि इस तरह की घटना अब बर्दाश्त नहीं कि जाएगी जुर्माने के तौर पर इस तरह के प्रदाताओं की सेवा पर १५ दिन की रोक भी लगायी जानी चाहिए क्योंकि जब तक इनके आर्थिक हितों पर चोट नहीं की जाएगी ये देश के सुरक्षा हितों के साथ आसानी से समझौता करते रहेंगें ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सिम बेचने की घटना वास्तव में चौकाने वाली है...
जवाब देंहटाएंअच्छे विषय पर लिखा है................