मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 13 जुलाई 2010

इसरो की सफलता

                           

पी एस एल वी की सफल उड़ान के साथ ही कल इसरो ने २५ उपग्रह प्रक्षेपित करने वाले देशों की सूची में अपना स्थान बना लिया है. इस सारे प्रक्षेपण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि एक साथ ही कई उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया गया जो कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की तकनीकी दक्षता की झलक भी दिखाता है. इसरो ने इस प्रक्षेपण में अल्जीरिया के अलसैट-२ ए, के साथ दो नैनो उपग्रहों को भी सफलता पूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित करने में सफलता अर्जित की. इसरो ने कई ऐसे कामों को भी करके दिखाया है जो आज तक किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था, २००८ में इसने एक साथ १० उपग्रहों को अन्तरिक्ष में उनकी कक्षाओं में स्थापित करके विश्व कीर्तिमान भी बनाया था.

      इसरो ने विदेशी उपग्रहों को स्थापित करने का काम केवल मुख्य रूप से कार्गो स्थान का उपयोग करने और कुछ राजस्व प्राप्त करने के लिए किया था पर जब दक्षिण कोरिया और जर्मनी के उपग्रहों का १९९९ में प्रक्षेपण किया गया था तो किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि आने वाले समय में इसरो अन्तरिक्ष बाज़ार में एक कुशल खिलाड़ी के रूप में सामने आ जायेगा. ऐसा नहीं है कि ये सारी सफलताएँ उसे बहुत आसानी से मिल गयी हैं १९९८ में किये गए परमाणु परीक्षण से भारत के खिलाफ बहुत सारे प्रतिबन्ध लग जाने से इसकी सफलता की गति काफी हद तक धीमी हो गयी थी.
       फिर भी आज के समय में अगर इसरो अपनी पूरी क्षमता को दिखा पा रहा है तो इसके लिए इसके सभी वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं जिनकी जी तोड़ मेहनत और लगन ने इस संस्थान को इतनी प्रतिष्ठा दिला दी है. अभी इसको बहुत कुछ करना है जैसे अभी भी हमारा क्रायोजेनिक इंजन परीक्षण की स्थिति में है और यह हम सभी जानते हैं कि वह दिन दूर नहीं है जब इसरो यह काम भी सफलता पूर्वक करके दिखा देगा. आज भारत की इस संस्था का नाम इस मामले में भी लिया जाता है कि यह सस्ते विकल्प के रूप में विकास शील देशों को उपग्रह अन्तरिक्ष तक भेजने की सुविधा भी दे रहा है जो अब तक अमेरिका और यूरोप के मंहगे साधनों का उपयोग इस काम के लिए किया करते थे. फिलहाल बधाई पूरे देश को है कि हमारे वैज्ञानिक अन्तरिक्ष में ऊंची छलांग लगाने के लिए तैयार हैं और विश्व के किसी भी देश के साथ ज्ञान को बांटने के लिए तैयार हैं. 
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3 टिप्‍पणियां:

  1. यह उड़ान इसलिये भी महत्वपूर्ण थी कि जीएसएलवी का काम पीएसएलवी से लिया गया। पोलर सैटेलाइट लांच वेहीकल द्वारा जीयो स्टेशनरी उपग्रह का प्रक्षेपण बड़ी सफलता है।

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