एक ऐसी खबर जो कभी भी सरकार के लिए सर दर्द बन सकती है पर इस बात की किसी को फ़िक्र ही नहीं. कुछ माह पहले सीतापुर, उत्तर प्रदेश के जिला चिकित्सालय के एक्स रे तकनीकी सहायक सेवा निवृत्त हो गए. कुछ समझ नहीं आ रहा है न कि आखिर ये किस तरह की पोस्ट है और क्या कोई सेवा निवृत्त नहीं हो सकता है ? जी नहीं आयु हो जाने पर सभी सेवा निवृत्त हो जाते हैं पर हमारे उलटे प्रदेश में कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पर दूसरी जगहों पर कहानी ख़त्म हो जाया करती है ? जिला चिकित्सालय जैसा महत्वपूर्ण स्थान जहाँ पर दिन भर बहुत सारी जांचों की आवश्यकता कानूनी मसलों के लिए पड़ती ही रहती है वहां पर इस तरह से महीनों तक कोई महत्वपूर्ण पद कैसे खाली रखा जा सकता है ? ऐसा नहीं है कि शासन की नज़रों में सीतापुर का रुतबा कुछ कम हो एक मंत्री, थोक के भाव विधायक और सांसद सब कुछ हो सत्ताधारी पार्टी का है यहाँ पर फिर भी किसी की नज़र आखिर क्यों नहीं पड़ती है इस तरह की घटनाओं पर ? अफ़सोस इस बात का है कि दलित के साथ दुष्कर्म के प्रयास की खबर तो अखबार के पहले पन्ने पर आ जाती है और जनता से जुड़ी इस समस्या कि खबर अन्दर के पन्नों में खो जाती है.
इस तरह की लापरवाही कभी भी स्थानीय प्रशासन को भारी पड़ सकती है क्योंकि जिले के सभी विचाराधीन कैदियों को इस समय जांचों के लिए पडोसी जनपद लखीमपुर भेजा जा रहा है. पुलिस अभिरक्षा में उत्तर प्रदेश में कैदी कितने आराम से भाग जाते हैं यह प्रदेश की पुलिस और सरकार भी जानती है फिर भी इस तरह से रोज़ ही न जाने कितने कैदियों को बसों से ढोकर लाया ले जाया जाता है ? समस्या यहाँ पर यह नहीं है कि क्या कैदियों को इधर उधर न किया जाए पर समस्या यह है कि क्या जो सरकार राजनैतिक लाभ के लिए नए जनपद को एक मिनट में सृजित कर देती है वह इस तरह के छोटे परन्तु महत्वपूर्ण पदों परसमय रहते भर्ती क्यों नहीं कर पाती है ? ऐसा भी नहीं है कि कोई अचानक ही सेवा निवृत्त हो गया हो ? इस तरह की घटनाओं से यह पता चलता है कि आज के समय में सरकारें किस क़दर आम जनता के हितों से दूर होती चलली जा रही हैं. आज शायद इस तरह की नियुक्तियों से सरकार को कोई तुरंत लाभ नहीं होने वाला है बस इसलिए ही इनको सेवा योजन विभाग के लिए छोड़ दिया जाता है. आख़िर इतने मंत्रालय और इतने मंत्री सरकारी खजाने पर इतना बड़ा बोझ डाल कर कौन सी सुविधाएँ प्रदेश की जनता को दे पा रहे हैं ?
इसमें जनता का ही दोष है कि उसको ही कुछ दिखाई नहीं देता, एक सरकार जो संविधान की शपथ खाकर देश हित में सब कुछ करने की लम्बी चौड़ी बातें करती है वह किस तरह से कुछ समय बाद ही अपने हर कर्त्तव्य को भूल जाती है ? यहाँ पर बात उत्तर प्रदेश की हैं इसलिए यहाँ की सरकार को ही कहा जायेगा पर सारे देश की यही स्थिति है कि कहीं भी नज़र डालकर देख ली जाये हर जगह की सरकारें इस तरह से संवेदन हीन होकर काम कर रही हैं. सही ही कहा गया है कि पद और प्रतिष्ठा मिलने पर सभी को अभिमान हो जाता है.......
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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