मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

सरकार का डर

अयोध्या मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के आने से पहले जिस तरह से माहौल बन गया है उससे तो यही लगता है कि कुछ होना तो नहीं है पर लोग कुछ होने की आशंका के कारण उस दिन अपने को घरों में क़ैद रखने वाले हैं ? इस मामले में सरकार की चुस्ती और प्रशासन की मुस्तैदी की आवश्यकता है पर जिस तरह से कल केंद्र सरकार ने थोक में मोबाइल सन्देश भेजे जाने पर ७२ घंटे के लिए रोक लगा दी है उससे जनता में और गलत सन्देश जाता है. हम विश्व में सबसे अधिक इंजीनियर बनाने वाले देश हैं और इस तरह की छोटी मोटी समस्याओं के लिए हम उन पर नज़र रखने के स्थान पर पूरी तरह से अस्थायी रोक लगाने में क्यों विश्वास करते हैं ?
      अच्छा होता कि यह सेवा चालू रहती और हर सेवा प्रदाता से सामूहिक संदेशों पर नज़र रखने को कहा जाता जिससे यह भी पता चल जाता कि आखिर कौन से तत्व हैं जो इस तरह के संवेदन शील मसले पर भी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं ? इस तरह के संदेशों से दूर रहने की अपील हर सेवा प्रदाता सन्देश भेजकर उपभोक्ताओं को सचेत करने का काम तो कर ही सकता है ? जब रात १२ बजे भी घंटी बजाकर स्टार दबाकर गाने चुनने की सेवा ये प्रदाता फ्री में देते रहते हैं तो इस समय सरकार को देश हित में अपनी तरफ से और विभिन्न सामाजिक वैचारिक बुद्धिजीवियों के संदेशों को इनके माध्यम से प्रसारित करना चाहिए था. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय और हर राज्य के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों के सन्देश सम्बंधित प्रदाताओं द्वारा प्रसारित किये जाने चाहिए थे जबकि इसे बंद करके लोगों में दहशत का माहौल बनाने का काम किया जा रहा है.
         लोग वैसे ही दबी ज़बानों में पता नहीं कितनी बातें कर रहे हैं कोई कहता है कि मोबाइल बंद कर दिए जायेंगें तो कोई कुछ और कहता है ? इन सब बातों पर सरकार और प्रशासन को स्पष्टीकरण बराबर देने चाहिए जिससे लोगों में फालतू का भ्रम और डर न फैले ? मोबाइल एक अच्छा और पहुँच वाला साधन है सरकार इसका उपयोग बहुत अच्छी तरह से कर सकती है और जब इस तरह की किसी विपरीत परिस्थिति की बात हो तो इसको बहुत सावधानी के साथ जनता के हित में उपयोग में लाया जा सकता है.  अब भी समय है कि सरकार अपने इस तरह के एक तरफ़ा फैसले से लोगों को डराने के स्थान पर उनको विश्वास में लेने का काम करे और जो चंद तत्व कहीं कुछ भ्रांतियां फैला रहे हैं उनको जवाब दे न कि इन सामान्य सेवाओं पर रोक लगाकर उनकी भ्रांतियों को पक्का करने का काम करे.


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