मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 22 सितंबर 2010

पाक और कश्मीर

पाक की सीनेट ने कल जिस तरह से जम्मू कश्मीर के बारे में एक प्रस्ताव पारित किया और भारत ने जिस तरह से उसका कड़ा प्रतिवाद किया उससे तो यही लगता है कि पाक अपनी हरकतों से कभी भी बाज़ नहीं आने वाला है ? पाक यह भूल जाता है कि आज़ादी के बाद उसने ही किस तरह से कबाइलियों को भेजकर आज़ादी की झूठी बात कश्मीरियों के दिमाग़ में डाल दी थी ? वह मांग आज तक कश्मीर में नासूर की तरह रिस रही है, अगर पाक को कश्मीर घाटी के मुसलमानों की वास्तव में कोई चिंता है तो उसे उन्हें अपना भविष्य खुद ही तय करने का अवसर देना चाहिए पर इससे पाक की इस्लामी रोटी नहीं सिंक पायेगी और जो वह इस्लामी दुनिया के सामने ख़ुद को इस्लाम का ठेकेदार घोषित करता रहता है उसका भी पर्दाफाश हो जायेगा. जिस इस्लाम के नाम पर पाक भारत से अलग हुआ था वह अवधारणा तो बांग्लादेश के जन्म के समय ही बुरी तरह मात खा गयी थी जब धर्म प़र भाषा भारी पड़ गयी थी और पाक ने ख़ुद को टूटते हुए देखा था ?
          आज केवल बातें करने से काम नहीं चलने वाला है अगर किसी भी स्वतंत्र पर्यवेक्षक से भारतीय कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर की वास्तविक स्थिति का आंकलन करवाया जाए तो पूरी इस्लामी दुनिया को यह पता चल जायेगा कि इस्लाम के नाम पर पाक कसी तरह से पूरी इस्लामी दुनिया को लूट रहा है ? पाक अधिकृत कश्मीर में रहने वाले नागरिकों को आख़िर क्यों पाक अपना गुलाम समझता है ? जिसे दुनिया का स्वर्ग कहा जाता था आज अगर वहां की स्थिति नरक से भी बदतर है तो उसके लिए भारत नहीं बल्कि पाक ही ज़िम्मेदार है. आज जम्मू और कश्मीर में जो भी चल रहा है उसको हवा देने में पाक कोई भी कसर नहीं रखता है जबकि वह जानता है कि कि इसमें केवल कश्मीरी मुसलमानों का ही नुकसान हो रहा है ? शायद पाक की आदत बन चुकी है कि वह वास्तविक स्थिति से अपने को रूबरू नहीं करना चाहता है ?
       पाक आज जिस तरह से चीन को अपने यहाँ गिलगित और बाल्टिस्तान में आने दे रहा है वह आने वाले समय में चीन के लिए एक समस्या और पाक के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनने वाला है. जब ये जिहादी तत्व अपने काम को इस क्षेत्र में अंजाम देना चाहेगें तो उस समय चीन उनको खदेड़ कर मारेगा क्योंकि कुछ इस्लामी चरमपंथियों के कारण चीन के कुछ प्रान्त अशांत हो जाया करते हैं ? हो सकता है कि चीन इस तरह से आज विश्व में इस्लामी आतंकवाद के पोषक पाकिस्तान के खिलाफ़ किसी योजना के तहत काम कर रहा हो ? व्यापारिक गतिविधियों के परदे में वह यहाँ तक अपनी उपस्थिति इतनी बढ़ा ले कि आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं चरम पंथियों को मारने में कोई कसर न छोड़े ? भारत के नेताओं के सामने मुसलमानों के वोट महत्वपूर्ण होते हैं पर चीन को किसी का वोट नहीं चाहिए वह अपने हितों पर चोट करने वालों को दौड़ाकर मारने में विश्वास करता है और निश्चित तौर पर अगले १० वर्षों में यह स्थिति आने वाली है तब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या चीन को इतना बड़ा पाक रास भी आता है या वो इसको और छोटे रूप में देखना चाहता है ?      

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