एक एनजीओ बचपन बचाओ आन्दोलन ने एक ऐसी सच्चाई को दुनिया के सामने बेपर्दा कर दिया है जिसे सुनकर भी अचम्भा होता है ? देखने सुनने में यह गाँव भी भारत के अन्य गाँवों की तरह ही लगता है और इसकी भौगोलिक स्थिति दिल्ली का दिल कनाट प्लेस से मात्र १५ किमी है ? जो बात आज हज़म नहीं होने वाली है वह यह है कि दिल्ली जहाँ से पूरे भारत और खुद दिल्ली के लिए दुनिया भर की योजनायें बनायीं जाती हैं वहाँ पर कोई गाँव ऐसा भी हो सकता है जहाँ का कोई भी व्यक्ति न तो कभी स्कूल गया है और न ही उसने कभी स्कूल का मुंह देखा है ? कहने को यह गाँव २५० साल पुराना है और यहाँ की लगभग पूरी आबादी मुसलमानों की है गनीमत है कि यह कड़वा सच कोई राजनैतिक दल नहीं सामने लाया वरना सरकार के लिए किसी भी स्तर पर उत्तर देना मुश्किल हो जाता ?
अब किसी भी अभियान के तहत कोई संगठन अगर इस काम को दुनिया के सामने ला पाया है तो यह भी ख़ुशी की बात है कि चलो अब देर से ही सही इस गाँव के लिए कुछ किया तो जा सकेगा. आज जब दिल्ली इतने बड़े स्तर पर राष्ट्र मंडल हेलों का आयोजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है तो इस तरह की कोई भी घटना सरकार के लिए वास्तव में शर्म के क्षण पैदा कर सकती है. पता नहीं किस कारण से इस गाँव में पानी बिजली जैसी बुनियादी समस्याएँ भी अभी तक अनसुलझी हैं पर सरकार अपने स्तर से अब तो सब कुछ कर सकती है. इस तरह की कोई भी खबर देश के सामने विकास के मायने फिर से निर्धारित करने की ज़रुरत को आगे ला देते हैं. आशा की जाती है कि जिस शीला सरकार ने पूरी दिल्ली में बहुत सारे विकास के कामों के दम पर अपनी एक पहचान बना रखी है वह भी इस गाँव के लिए अब बहुत कुछ करना चाहेगी ?
गनीमत यह है कि यह सब दिल्ली में भी है क्योंकि देश के दुसरे गाँवों की तरफ देखने से इस तरह के बहुत सारे स्थान मिल जायेंगें पर दिल्ली के अन्दर इतना पिछड़ा क्षेत्र तो वास्तव में कोई सोच भी नहीं सकता है ? अब भी समय है कि पूरे देश में इस तरह के गाँवों और दूर दराज़ के क्षेत्रों के लिए एक अभियान चलाया जाए जिससे भविष्य में कोई भी ऐसा क्षेत्र न रहे जहाँ पर विकास की किरणें अभी तक नहीं पहुंची हों ? हर प्रदेश की सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए जाएँ कि उनके प्रदेश में कोई भी ऐसा क्षेत्र न हो जिसके बारे में सरकार के पास पूरे आंकडें न हों.....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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