मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

ओबामा,कश्मीर और सुरक्षा परिषद्

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपनी आगामी भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत से कोई स्थायी हल निकालने के लिए कह सकते हैं और साथ ही वह इस बात के साथ संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सीट को भी जोड़ने का एक कुचक्र लेकर भारत आना चाहते हैं. पता नहीं अमेरिका में दक्षिण एशिया से जुड़े उनके अधिकारी और विशेषज्ञ किन परिस्थितियों में भारत और पाकिस्तान की बीच में मतभेद के मुद्दे को कश्मीर से जोड़कर देखना चाहते हैं ? अब यह भी नहीं कहा जा सकता है कि अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञ इतने अनजान हैं कि उन्हें पाक के इन खोखले और झूठे दावों की सच्चाई भी नहीं दिखाई देती है ? पाक एक असफल राष्ट्र है और वह अपनी इस असफलता को पूरी दुनिया के सामने नहीं आने देना चाहता है और ख़ास तौर से इस्लामी दुनिया के सामने जिसके सामने उसने अपने जन्म के समय इस्लामी झंडा और मूल्यों को बनाये रखने का संकल्प लिया था ?
       यह अब पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट हो चुका है कि अमेरिका को दुनिया में कोई भी नयी उभरती शक्ति रास नहीं आती है उसे चीन से भी उतने ही ख़तरे लगते हैं जितने भारत से ? चीन से पूरी दुनिया सशंकित नज़र आ रही है पर भारत ने आज तक अपनी सीमाओं और अपने आदर्शों का कभी भी उल्लंघन नहीं किया है फिर चीन की तरह भारत से पेश आने का क्या कारण है ? अमेरिका को यह अब समझना ही होगा कि दुनिया में कोई दूसरा भारत नहीं है और जितनी हद तक भारत अपनी बात के साथ खड़ा हो सकता है वैसा कोई अन्य देश नहीं कर पायेगा. क्या ओबामा की टीम को यह समझ नहीं आता कि कश्मीर में क्या हो रहा है ? कौन वहाँ पर ज़्यादती कर रहा है ? अमेरिका को पाक अधिकृत कश्मीर में क्या सब ठीक लगता है ? अगर अमेरिका को पाक की ग़लतियों को अनदेखा करने की बीमारी लग ही गयी है तो उसे इसका इलाज़ करना चाहिए ?
            क्या अमेरिका के पास इस बात का कोई जवाब है कि अगर हज़ारों की तादाद में उन्मादी लोगों की भीड़ केवल उन्हीं की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों पर पत्थर चलाने लगे तो उनको किस तरह से जवाब दिया जाना चाहिए ? आज के समय में कश्मीर में ऐसी कोई समस्या नहीं थी पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर भी शेष भारत की तरह आगे बढ़ने की तरफ़ जाने लगा था और यह सारा बवाल केवल दुनिया का ध्यान कश्मीर की तरफ़ खींचने के लिए किया जा रहा था ? और अपने को शक्तिशाली कहलाने का शौक पाले अमेरिका अब पाक के इस झूठ पर विश्वास कर चुका है कि वास्तव में कश्मीर में बहुत दिक्कत है ? हाँ कश्मीर में दिक्कत है पर वह आतंकियों को सुरक्षा बलों से है क्योंकि आतंकी अब पहले जितनी आसानी से घुसपैठ नहीं कर पा रहे हैं तो उन्होंने अलगाव वादियों को साथ लेकर इस तरह के घटिया हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं जिनसे केवल भारत की छवि को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जा सके ?
         अमेरिका जो यह ग़लत फ़हमी पाले हुए है कि वह भारत पर सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के बदले दबाव डाल कर कश्मीर के मुद्दे पर पाक को कुछ परोस सकेगा तो वह वास्तविकता में जी ही नहीं रहा है ? आज पूरे भारत में कश्मीर को किसी भी अन्य तरह के समाधान के लिए इस्तेमाल करने के खिलाफ एक जनमत है जिसकी अनदेखी कोई भी सरकार नहीं कर सकती है कश्मीर की समस्या के हल के लिए अमेरिका को पाक के साथ बैठकर पहले उसकी मंशा जाननी चाहिए कि आखिर वह क्यों कश्मीर घाटी में मुसलमानों को ठीक से जीने नहीं दे रहा है ? क्या पाक चाहता है कि घाटी में भी वही हालत हो जाएँ जैसे पाक में हैं ? 

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा इसके लिए देश के नोजवान क़ुरबानी को तैयार है

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  2. काश्मीर भारत का हिस्सा है और रहेगा। --अलगाववाद की बात करने वाले समय के साथ नष्ट हो जायेंगे।

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