मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

अब सैन्य उपग्रह भी

आखिर में भारत सरकार का ध्यान भी देश की सुरक्षा से जुड़े हुए इस महत्वपूर्ण मसले की तरफ चला ही गया. आज पूरे विश्व में जिस तरह से सैन्य मामलों में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल किया जाने लगा है उसको देखते हुए इस तरह का निर्णय भारत में बहुत पहले ही कर लिया जाना चाहिए था. भारत के पड़ोसियों द्वारा जिस तरह की असामान्य परिस्थितयों में रोज़ ही कुछ न कुछ किया जाता रहता है उसको देखते हुए अब भारतीय सेना को अत्याधुनिक संचार और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से दूर नहीं रहना चाहिए. वैसे तो मुख्य खतरा चीन ही है और रहेगा पर पाक से किसी भी विवाद के समय चीन अपने सारे तंत्र का उपयोग कर पाक की बहुत बड़ी सहायता कर सकता है. वैसी स्थिति में भारत के पास सेना के लिए पूरी तरह से अलग से काम करने वाले कुछ उपग्रहों का होना बहुत ही आवश्यक है.
      यह सही है कि मनमोहन सरकार के कुछ काम वास्तव में जनता की नज़रों के सामने आये बिना ही लम्बे समय तक देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बहुत ही ख़ामोशी से किये जा रहे हैं. यह ज़रूरी भी नहीं है कि हमारी सरकार सुरक्षा से जुड़े इन मुद्दों को सार्वजनिक करती फिरे ? आज जसी तरह से इसरो अपने काम को बहुत अच्छे से कर रहा है उससे भारतीय सैन्य उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में कोई भी समस्या नहीं आने वाली है. सेना की ज़रूरतें भारत जैसे विशाल देश में बहुत अधिक ही हैं उनको एकदम से तो पूरा नहीं किया जा सकता है पर जब उस तरफ कुछ करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है तो अवश्य ही कुछ ठीक ठाक हो जायेगा. आज कम से कम हम इस बात से तो निश्चिन्त हो ही सकते हैं कि हम जब चाहें अपने सैन्य उपग्रहों को अन्तरिक्ष में भेज सकते हैं और इस बारे में हमारी तैयारियों को पूरी दुनिया पूरी तरह से नहीं जान पायेगी.
          यह सही है कि आने वाले दिनों में बहुत सारे काम केवल बेहतर तकनीक के सहारे ही किये जा सकेंगें पर उसके लिए अगर अभी से तैयारियां नहीं की जायेंगीं तो आखिर अचानक सब कैसे सुधारा जा सकेगा ? यह संतोष की बात है कि कहीं न कहीं भारत सरकार और सेना ने भी इस बारे में सोचना शुरू कर दिया है. अब जब इस तरह की सोच सामने आ रही है तो इस पर दृढ़ता से काम भी किया जाना चाहिए क्योंकि बहुत से इस तरह से किये जाने वाले फैसले बहुत लम्बे समय में देश को सुरक्षित करने का काम करते हैं. जब तकनीक में हमारा डंका पूरी दुनिया में बज रहा है तो फिर क्यों हम अपनी सेना को इससे लैस करने में पीछे रह जाएँ ?   


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