मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

कराँची में हिंसा

बात बात पर कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का राग अलापने वाले पाकिस्तान को अपने यहाँ होने वाले अत्याचार कभी भी नहीं दिखाई देते हैं. कराँची पाक के जन्म के समय से उसके लिए सर दर्द रहा है क्योंकि भारत से इस्लामी पाकिस्तान में शरियत के मुताबिक रहने का सुनहरा सपना देखने वाले मुसलमान सबसे बड़ी संख्या में यहीं पर जाकर बसे थे. पाक ने आज़ादी के बाद से ही इनकी अनदेखी की है और आज स्थिति यह है कि वे अपने पाक जाने के निर्णय पर सोचने को मजबूर हैं ? छोटी छोटी बात भी वहां पर जिस तरह से गुटबाजी में बदलकर खून खराबे तक पहुँच जाती है वैसी दूसरी मिसाल पूरी दुनिया में देखने को नहीं मिलेगी ? कश्मीर में अपने भेजे हुए भाड़े के टट्टुओं की मौत पर पाक को बहुत अफ़सोस होता है पर जब लाहौर जैसे शहर में नमाज़ पढ़ते लोगों को बंदूकधारी गोलियों से भून देते हैं तो वह आह भी नहीं करता है ?
         जिस तरह से मोहाज़िरों के अधिकारों को पाक द्वारा रौंदा जा रहा है उस पर कभी किसी की नज़र क्यों  नहीं पड़ती है ? एक आम उप चुनाव से जुडी गुटबंदी में किस तरह से २३ लोग मार दिए गए हैं यह तो वहां की हालत की बानगी भर है ? ऐसा नहीं है कि दुनिया के अन्य हिस्सों में ऐसी घटनाएँ नहीं होती हैं पर पाक में इस्लाम के नाम पर जिनको अपने घरों और ज़मीन से उखाड़ कर एक खुशहाल पाक देने का वायदा किया गया था उसका क्या हुआ ? आज पाकिस्तान में लोग यह सोचने पर मजबूर हो चुके हैं कि आखिर भारत से अलग होकर उन्हें क्या मिला ? एक अच्छे माहौल में रहने वालों की अंग्रेजों की साजिश और कुछ लोगों के राजनैतिक मंसूबे ने करोड़ों लोगों के लिए जिंदगी हराम ही कर दी है. केवल धर्म के नाम पर शासन चलाया जा सकता है यह मिथक तो १९७१ में ही बांग्लादेश के बनने के साथ ही टूट चूका है ? विभिन्न समुदायों को साथ लेकर चलने की भारत की परंपरा ने भारत को आज विकास के राजमार्ग तक पहुंचा दिया है पर पाक आज भी अपनी रूढ़ियों में जकड़ा है ? पाक को यह समझ ही नहीं आ रहा है कि आज जो हालत उसने दुनिया के लिए बनाने की कोशिश की थी वह उसके लिए भारी क्यों पड़ रहे हैं ?
                अब भी समय है कि पाक अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए सही दिशा में काम करना शुरू कर दे. केवल नफ़रत पनपा कर मोहब्बत नहीं पायी जा सकती है. पाक में जो खेल आतंकी पिछले २० सालों से खेल रहे हैं उसके बाद आज वहां खुद पाकिस्तान के अन्दर नफ़रत इतनी बढ़ चुकी है कि गोली चलने से पहले किसी को यह दिखाई ही नहीं देता कि वह किस पर और किस कारण से गोली चला रहा है ? अब भी अगर पाक इस स्थिति से आँखें मूँदे रहा तो जैसा कि कुछ लोग भविष्यवाणी कर रहे हैं कि विफल पाकिस्तान बहुत जल्दी ही टूट जायेगा कहीं वह सच न हो जाये.. 

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