मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

ओबामा और भारत

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा में बहुत सारी महत्वपूर्ण बातों पर फैसले लिए जाने की सम्भावना है पर साथ ही पूरी दुनिया के सामने चल रहे आतंक से निपटने की चुनौती भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सामने आ गयी है. अभी तक भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों हर स्तर पर मात खाने के बाद सभी का ध्यान खींचने के लिए आतंकी ओबामा की यात्रा के दौरान कोई बड़ा हमले कर सकते हैं. ख़ुफ़िया रिपोर्टों के अनुसार ये हताश आतंकी जम्मू कश्मीर से लेकर देश के किसी भी हिस्से में छोटा या बड़ा हमले करने की फिराक में हैं. आतंक के खिलाफ भारत की जो साख पूरी दुनिया में है वह अमेरिका भी जानता है कि किन परिस्थितियों में भारत इनसे लोहा ले रहा है ?
        आतंकी कश्मीर में कोई बड़ी घुसपैठ करके वहीं पर कोई बड़ा हमला करना चाहते हैं जिससे ओबामा की यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए अलगाव वादी नेताओं को मौका मिले. अभी तक कश्मीरी नेतृत्व जिस तरह से भटका हुआ है उससे तो यही लगता है कि उन्हें यही नहीं पता है कि किस समय किस तरह का व्यवहार करना चाहिए ? देश में अब कश्मीर को लेकर समझ बढ़ी है पर अलगाव वादियों को अभी भी यही लगता है कि केवल अपना राग अलाप कर ही वे कुछ हासिल कर लेंगें. आज जब भारत सरकार से एक वार्ताकारों के समूह का गठन कर दिया है तो इन सभी को अपनी बात इसके सामने रखनी चाहिए और कश्मीर में शांति बहाली की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए पर उन्हें तो केवल कश्मीरी युवकों के बहते हुए खून से सनी राजनीति ही करनी है ?
        यह सही है कि भारतीय सुरक्षा बालों के चौकन्ने पन के कारण ही अलगाव वादियों और आतंकियों को अपना काम कर पाने में कठिनाई आ रही है फिर भी वे हताशा में कहीं भी कोई बड़ा आत्म घाती हमला तो कर ही सकते हैं और इसके लिए पूरे देश को तैयार रहना ही होगा. आज सुरक्षा की समस्या इसलिए भी विकट हो जाती है क्योंकि हम नागरिक अपने आस-पास के माहौल से पूरी तरह से आँखें मूंदे रहते हैं अब इस तरह से चुप रहने से केवल हमारा ही नुकसान होने वाला है और किसी भी हमले के समय हमारे अपने शहर के लोग और हम सभी खतरे में होते हैं ? इसलिए अब समय है कि हम सभी चेत जाएँ और किसी भी ऐसी संवेदनशील स्थिति में अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छे से समझें.         

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