मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 1 नवंबर 2010

कश्मीर पर "शांति योजना"

कश्मीर पर वार्ताकारों के गुट ने जिस तरह से जेल में बंद अलगाववादी चरमपंथियों से दोबारा जाकर बात की है उससे लगता है कि कहीं न कहीं अब आतंकी गुट भी भारत की इस पहल के साथ भले ही छोटे स्तर पर ही सही पर जुड़ना चाहते हैं ? हालांकि अभी यह कहना बहुत जल्दबाज़ी होगी कि वास्तव में ये आतंकी कुछ शांति योजना पर बात करना चाहते हैं ? फिर भी अगर उनके मन में कोई भी बदलाव आ रहा है तो उस पर विचार करने के लिए समय देकर इन वार्ताकारों ने अच्छा ही किया है. जिस तरह से पहली मुलाक़ात के समय इन आतंकियों ने वार्ताकारों से फिर से आने के बारे में पूछा था और दोबारा वहां जाकर उनकी बात सुनी गयी है उससे तो यही लगता है कि वे कुछ कहकर सामने आयेंगें.
         इस तरह की घटना के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया पाक से ही आनी थी पर इस मसले पर पाक ने ओबामा के भारत दौरे को देखते हुए ख़ुद कुछ न कहते हुए तथा कथित यूनाइटेड जिहाद के प्रवक्ता से अपनी बात कहलवा दी है. सबसे बड़ी परेशानी पाक को यह भी हुई कि इस तरह की पेशकश जेल में बंद आतंकियों ने खुद ही वार्ताकारों के सामने कर दी जबकि वह कश्मीर का सबसे बड़ा पैरोकार खुद को ही मानता है ? हो सकता है कि इन अलगाववादियों के मन में यह बात इसलिए भी आई हो कि पाक ने कभी भी किसी के साथ किये गए अपने वायदे को नहीं निभाया है ? और इस तरह से ये कश्मीर के नाम पर जेहाद करवाने वाले लोगों के साथ कभी भी नहीं खड़ा होने वाला है. यह भी हो सकता है कि ये सभी लोग भारत में पाक के जिस झूठ के कारण जेहाद करने आये थे उन्हें उसकी सच्चाई भी पता चल गयी हो ?
             फिलहाल इस बार वार्ताकारों से कोई बड़ी आशा इसलिए भी नहीं की जा सकती है क्योंकि अभी तक कश्मीर के लोग उन पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर रहे हैं फिर भी जब कोई बात करनी होगी तो वे इनके सामने आयंगें ही. एक अच्छी बात यह है कि कश्मीर के लोगों में इन वार्ताकारों से कुछ उम्मीद बंधने लगी है. ऐसा भी नहीं सोचा या कहा जा सकता है कि इनसे बहुत जल्दी किसी बहुत बड़े फैसले तक पहुँचने की आशा है फिर भी कहीं न कहीं से उलझे हुए मसले की कोई कड़ी पकड़ में आने तो लगी है और जब इस उलझाव को सुलझाने का प्रयास किया जायेगा तब जाकर ही किसी ठोस मुद्दे पर पहुंचा जा सकेगा. अब भी समय है कि कश्मीर के सभी लोग इस वार्ता के माहौल का लाभ उठाकर अपनी बात रखने की कोशिश करें क्योंकि आगे आने वाले समय में पता नहीं ऐसी कोशिश फिर से कब हो पाए ?   

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1 टिप्पणी:

  1. कश्मीर से भगाये गये हिन्दुओं को इसमें शामिल क्यों नहीं किया जा रहा.

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