मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

उ० प्र० अनाज घोटाला

उत्तर प्रदेश में २००३ से २००७ तक हुए देश के अभी तक के सबसे बड़े अनाज घोटाले के बारे में अब यह सामने आ रहा है कि यह पूरा मामला उतना हल्का नहीं है जितना इसे समझा जा रहा था. देश के एक गरीब राज्य में जिस तरह से गरीबों के लिए उपलब्ध कराये गए अनाज की इस तरह से कालाबाजारी की गयी कि कोर्ट को इस मामले में बहुत सख्ती से टिप्पणी करने पर बाध्य होना पड़ा है. लगभग दो लाख करोड़ रूपये के इस घोटाले के सामने आने से अब यह देश का सबसे बड़ा घोटाला साबित होने जा रहा है, जिस के सामने २ जी और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले बहुत ही बौने साबित हुए जा रहे हैं ? इस मामले में जो सबसे ख़राब बात रही वह यह है कि गरीबों के लिए आवंटित अनाज को एक अन्य प्रक्रिया के तहत देश और विदेश में कालाबाजारी के ज़रिये बेचा गया. अनाज को जिस तरह से रेलगाड़ियों के माध्यम से भेजा गया उससे तो यही लगता है कि कुछ नियमों में परिवर्तन करके पूरा घोटाला किया गया.
           २ लाख करोड़ रूपये, ७ साल का लम्बा समय और ५००० प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी इस मामले की जाँच में कोई तेज़ी नहीं आने के कारण कोर्ट ने साफ़ तौर पर यह कहा है कि जब गरीबों के साथ इस तरह की लूट की जारही हो और देश के संसाधनों का इस हद तक दुरूपयोग किया जा रहा हो तो देश की न्यायपालिका चुप होकर देख नहीं सकती है ? उत्तर प्रदेश में जांच की धीमी गति से नाराज़ कोर्ट ने शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश की जाँच एजेंसियों को यह आदेश दिया था कि इसकी जांच सीबीआई से करायी जाये और इसके बाद ही पूरे घटनाक्रम में तेज़ी आ गयी है. कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए इसकी पूरी ज़िम्मेदारी तत्कालीन मुलायम सरकार पर डाल दी है. इस मसले पर मुलायम सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है और जिस तरह से  यह सब ७ साल चलता रहा तो उस समयावधि में प्रदेश में भाजपा और बसपा भी सरकार में किसी न किसी रूप में शामिल रहे थे.
               कोर्ट की यह टिप्पणी बड़े बड़ों के लिए समस्या पैदा कर सकती है कि जिस तरह से और जितने लम्बे समय तक इस तरह की हेराफेरी की जाती रही उसे देखकर यही लगता है कि बिना किसी बड़ी अधिकार प्राप्त शाक्ति की मदद के यह सब नहीं हो सकता था. इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा ६ महीने में पूरी करवाने और सारे दस्तावेज़ उसके हवाले करने के आदेश के बाद प्रदेश की नौकरशाही में हडकंप मच गया है. यह सही है कि उस समय प्रदेश में मुलायम सरकार थी पर इतने बड़े फैसले में कहीं न कहीं कुछ बड़े अधिकारीयों की गर्दनें भी फसने वाली हीन जिस कारण से ही अब पूरी नौकरशाही में सन्नाटा फैला हुआ है. अच्छा हो कि इस मामले की पूरी जानकारी और जांच केंद्रीय जांच एजेंसी के माध्यम से समयबद्ध तरीके से करायी जाये जिससे दोषियों को सजा दी सके.      

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1 टिप्पणी:

  1. किसी को कुछ होने वाला नही अगर ऐसे लोगों पर सख्त कार्यवाई हो तभी ये घोटाले रुकेंगे मगर कार्यवाई करने वाले तो खुद घोटालों मे मग्न हैं। जानकारी के लिये धन्यवाद।

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