मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 6 दिसंबर 2010

स्वागत है पक्षियों का..

इस बार पूरे उत्तर भारत में अधिक बरसात होने और अभी से यूरोप में बहुत ठण्ड पड़ने से भारत भर के पक्षी विहारों में प्रवासी पक्षियों के कलरव गूंजने लगे हैं और पक्षी प्रेमियों के लिए इससे बड़ी और कोई खबर हो भी नहीं सकती क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से ये प्रवासी पक्षी भारत की तरफ आने कम हो रहे थे तो उससे यहाँ के पक्षी प्रेमियों में बहुत निराशा होती जा रही थी. पूरे वर्ष में यही ऐसा समय होता है जब इन प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या उत्तर भारत की विभिन्न झीलों और तालाबों में दिखाई देती है.
        जैसा कि सभी जानते हैं कि यदि प्राकृतिक रूप से विकसित इन झीलों के आधुनिक विकास पर ध्यान दिया जाये तो उससे इन प्रवासी पक्षियों के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है फिर भी अभी तक इस तरह हमारे देश में जितना कुछ किया जाना चाहिए उतना करने की शुरुवात नहीं हो पाई है. यह सही है कि हमारे देश का उत्तरी भूभाग नदियों कि प्रचुरता के कारण दक्षिण से अधिक नम रहता है और इस समय यहाँ की सर्दी भी इन प्रवासी पक्षियों को यहाँ आने के लिए ललचाती रहती है. राज्यों के वन विभाग जिस तरह से काम करते हैं उनके बारे में सभी को पता है. आज दूरस्थ इलाकों तक मनेरगा के माध्यम से पैसा पहुँच रहा है और जिस मात्रा में इन झीलों और नम भूमि का विकास स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया जा सकता है वह सरकारी स्तर पर केवल संभव नहीं है.
    अच्छा हो कि पूरे देश में इस तरह के सभी स्थानों को चिन्हित करके वहां पर सरकारी तंत्र और स्थानीय निवासियों को मिलाकर समितियों का गठन भी किया जाये जो आने वाले इन प्रवासी मेहमानों के प्रति लोगों में सहानुभूति की भावना को भी विकसित करने का काम करे. जब तक इन पक्षियों को स्थानीय स्तर पर रहने लायक स्थान और माहौल नहीं मिलेगा तब तक ये हर वर्ष यहाँ का रुख करने में संकोच करते रहेंगें. ग्रामीणों को इनसे मेहमानों की तरह पेश आना चाहिए और इनके अवैध शिकार करने वालों को चिन्हित करना चाहिए जिससे इनकी संख्या में कमी न होने पाए. यह एक ऐसी संपदा है जो हमारे रुख पर निर्भर करती है और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए यह धरोहर संभाल कर रखने में हमारी मदद कर सकती है पर इसके लिए हम सभी को अभी से ही सचेत होना पड़ेगा. 
 

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