मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 8 दिसंबर 2010

बनारस में फिर आतंक लौटा

देश में पिछले कुछ समय से आतंकी हमलों से काफी हद तक राहत महसूस की जा रही थी पर मंगलवार की शाम को वाराणसी के शीतला घाट पर शाम की आरती के समय जिस तरह से आतंकियों ने एक बार फिर से बम विस्फोट कर दिया उससे तो यही लगता है कि अभी भी आतंकी अपने मंसूबों को पूरा करने में लगे हुए हैं ? पिछले कुछ समय से जिस तरह से देश में सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी रह रही थीं उसके चलते ऐसी किसी भी घटना को अंजाम देना आतंकियों के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा था. फिर भी जिस तरह से इतने समय बाद इस आतंक ने वापसी की है उस पर विचार किये जाने की आवश्यकता है. घटना के आधे घंटे बाद ही मुंबई से सुरक्षा एजेंसियों को यह बताया जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन ने इन हमलों को किया है ?
           यह सही है कि इस तरह के किसी भी आतंकी हमले में किसी भी तरह की राजनीति नहीं की जानी चाहिए क्योंकि देश में इस तरह के विपरीत बयानों से आतंकियों के हौसलों को कहीं न कहीं से बल मिलता है. जो घटना कल वाराणसी में हुई है कल को वह देश के किसी अन्य हिस्से में भी हो सकती है इसलिए इस तरह की घटनाओं में किसी पर दोषारोपण करने से बचना चाहिए हाँ इतना अवश्य किया जाना चाहिए कि इस तरह से भीड़ भाड़ वाले संवेदन शील क्षेत्रों के आस पास के लोगो को इस तरह के किसी भी आतंकी हमले से निपटने की तरकीबें अवश्य बताई जाएँ. पुलिस सूत्रों के अनुसार यह विस्फोट निम्न से मध्यम तीव्रता वाला था इस बम से जितना नुकसान नहीं हुआ उससे ज्यादा तो बाद में भगदड़ मचने से हुआ. आज भी इस तरह की किसी भी आपात परिस्थिति से कैसे निपटा जाये इस बात की जानकारी आम लोगों को नहीं है जिससे इस तरह की घटनाओं की तीव्रता और बढ़ जाती है.
        एक बात जो इस घटना में अच्छी रही कि आतंकियों के मंसूबे पूरे नहीं हो पाए क्योंकि उन्होंने सीरियल ब्लास्ट की योजना बनायीं थी पर घटना स्थल से दो अन्य बिना फटे बम भी बरामद हुए जो किसी कारण वश नहीं फट सके थे. आतंकियों ने इस घटना को अयोध्या मसले से जोड़कर दिखाया है कि वे १८ बरस पहले अयोध्या की घटना का बदला लेने के लिए यह काम कर रहे हैं. देश को एक बात तो अब सीखनी ही होगी कि वैश्विक आतंक के इस दौर में कोई भी कभी भी सुरक्षित नहीं है अगर कोई घटना नहीं हो रही है तो इसका मतलब कड़ी सुरक्षा के साथ आतंकियों को अवसर न मिलना भी है जब भी वे कहीं पर कुछ पा जाते हैं तो उसके बाद इस तरह की हरकत कर देते हैं. हम आम नागरिकों की ज़िम्मेदारी ऐसे समय में और अधिक बढ़ जाती है जिससे इन आतंकियों के मंसूबे कभी भी पूरे न हो सकें. बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति या विचार हमारी शांति को भंग ही करता है इसलिए सभी लोगों को अपने स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए खुद ही प्रयास करने होंगें.  
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