मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

उ० प्र० और भ्रष्टाचार

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से काफी समय से भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें मज़बूत की हैं वह पूरे देश के लिए ही चिंता का विषय है आज भी काफी लम्बी न्यायिक प्रक्रिया के बाद जिस तरह से बहुत कम दोषियों को सजा मिल पाती है वह भी लोगों को भ्रष्टाचार करने के लिए कहीं न कहीं प्रेरित कर जाती है अगर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कुछ विशेष व्यवस्था बना दी जाये तो शायद आने वाले समय में कोई इतनी आसानी से इस तरह से कानून में कुछ कमियों का फायदा उठाने से डरने लगे ? प्रदेश की शीर्ष कुर्सियों पर बैठे हुए नौकरशाह किस तरह से भ्रष्ट हैं यह कुछ वर्ष पहले भ्रष्टतम अधिकारी चुनने के समय इनकी खुद की प्रक्रिया ने ही बता दिया था.
        आज देश में जो स्थिति है और जिस तरह से पैसे का प्रवाह सरकारी योजनाओं में बढ़ा है उसको देखते हुए कहीं से भी यह नहीं लगता कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकारी प्रयास कहीं से भी नहीं किये जा रहे हैं ? आख़िर क्या कारण हैं कि भ्रष्टाचार के इस दानव से लड़ने के लिए जो भी प्रयास होने चाहिए वह क्यों नहीं किये जा रहे हैं ? सबसे पहले यह किया जाना चाहिए कि जब कभी किसी भी स्तर पर अधिकारी या नेता के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का मामला बने तो उसके सारे अधिकारों को दो वर्षों के लिए रोक कर उनके खिलाफ विशेष एजेंसियों द्वारा जांच करायी जाए जिससे यह पता चल सके कि आख़िर में पूरे मामले में क्या गड़बड़ हुई थी ? आज इस भ्रष्टाचार से लड़ने की जो भी प्रक्रिया है वह केवल सत्ता का संरक्षण करती है और जो भी अधिकारी किसी भी तरह से सत्ताधारी दल के साथ चलने को राज़ी हो जाता है उसे ही पूरी तरह से काम करने की छूट मिल पाती है ?
     देश में सत्ता लोलुपता और अधिकारिक चाटुकारिता ने जो आयाम बना दिए हैं इस कुचक्र से निकलने के लिए कड़े कानूनों की अब बहुत आवश्यकता है ? एक नीरा या अखंड की बात नहीं है देश में हर गाँव और जिले में ऐसे भस्मासुर बैठे हुए हैं जो खुद जिससे पल रहे हैं उसको ही खाने और जलाने पर लगे हुए हैं ? कभी सुखराम तो कभी राजा कभी अखंड तो कभी नीरा ये तो सिर्फ नाम ही हैं और समय के साथ यही बदलते हैं कभी भी भ्रष्टाचार का चेहरा नहीं बदलता है. आज पूरी तरह से इस मसले से निपटने की आवश्यकता है पर इस देश में कब ऐसा हो पायेगा ? 
 

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