सरकार ने आखिर कार संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के अनुसार देश में भ्रष्टाचार पर विधेयक लाने का मन बना लिया है यह ऐसे काम हैं जिन पर बहुत पहले ही ठोस कदम उठा लिए जाने चाहिए थे पर आज तक कुछ भी ऐसा नहीं हो पाया है जिससे यह लगे कि देश में कोई भी सरकार इस मामले पर बहुत गंभीर है ? जब देश में राजग सरकार थी तभी देश ने इस मसले पर अपनी सहमती जता दी थी पर न तो उसने इस मामले पर कुछ किया और न ही संप्रग ने अपने पहले कार्यकाल में ? अब सवाल यह उठता है की जब सभी लोग भ्रष्टाचार को एक गंभीर मुद्दा मानते हैं तो फिर किसलिए अभी तक इस पर कोई कड़ी चोट क्यों नहीं की गयी ? शायद इसलिए की अभी तक देश में पनप रहे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में नेता और अधिकारी ही सबसे ज्यादा लिप्त पाए गए हैं और अगर कोई कड़ा विधेयक क़ानून बन गया तो इनकी गर्दनें सबसे पहले ही नपने वाली हैं ?
आज भी देश के सामने भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा है अपर अभी भी इसे उतना बड़ा बनने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो अपने एक ही कार्यकाल में अकूत संपत्ति इकठ्ठा करने के इनके मंसूबे कैसे पूरे होंगें ? अब ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे कहीं से भी देश की प्रतिष्ठा पर आंच आये ? क्योंकि अब दुनिया भर की निगाहें हमारी विकसित होती अर्थ व्यवस्था पर पड़ने लगी हैं और अभी भी अगर हम नहीं चेतेंगें तो यह भ्रष्टाचार हमारी प्रगति को ही बाधित कर देगा ? नेता देश से हैं न कि नेता से देश ? वो समय चला गया जब उच्च मूल्यों के अनुपालन में बड़े बड़े नेता गण भी अपना सब कुछ त्याग दिया करते थे पर आज तो केवल एक ही चीज़ लोगों को पता है कि किसी भी तरह से पैसे कमाए जाएँ ?
अच्छा है कि ऐसा विधेयक आने जा रहा है पर इस विधेयक में कुछ प्रावधान इतने कड़े होने चाहिए कि किसी को भी जल्दी से जल्दी ही सजा भी दी जा सके ? कहीं ऐसा न हो कि वर्तमान विधेयक की तरह उसके पास इतने अधिकार भी न हों कि वह किसी को सही समय से सजा दिलवाने में सदैव ही पीछे रह जाये ? कोई भी किसी भी स्तर का नेता क्यों न हो सबको भ्रष्टाचार के मामले में फसने पर एक तरह से ही निपटा जाये इसमें किसी को भी किसी भी तरह की कोई छूट नहीं दी जाये. जब तक इस तरह के मसले को समय बद्ध तरीके से निपटने के उपाय इस विदेयक में नहीं किये जायेंगें तब तक कुछ भी अच्छा नहीं हो पायेगा क्योंकि आज तक जो भी कानून हैं उनसे बचने के रस्ते भी इन नेताओं ने खूब निकल रखे हैं. अच्छा हो कि यह सरकार एक कड़ा कानून तो बना ही दे शायद उससे बाद में कभी यह हबी कहा जा सके इसी कानून ने देश से भ्रष्टाचार को हटाया ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज भी देश के सामने भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा है अपर अभी भी इसे उतना बड़ा बनने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो अपने एक ही कार्यकाल में अकूत संपत्ति इकठ्ठा करने के इनके मंसूबे कैसे पूरे होंगें ? अब ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे कहीं से भी देश की प्रतिष्ठा पर आंच आये ? क्योंकि अब दुनिया भर की निगाहें हमारी विकसित होती अर्थ व्यवस्था पर पड़ने लगी हैं और अभी भी अगर हम नहीं चेतेंगें तो यह भ्रष्टाचार हमारी प्रगति को ही बाधित कर देगा ? नेता देश से हैं न कि नेता से देश ? वो समय चला गया जब उच्च मूल्यों के अनुपालन में बड़े बड़े नेता गण भी अपना सब कुछ त्याग दिया करते थे पर आज तो केवल एक ही चीज़ लोगों को पता है कि किसी भी तरह से पैसे कमाए जाएँ ?
अच्छा है कि ऐसा विधेयक आने जा रहा है पर इस विधेयक में कुछ प्रावधान इतने कड़े होने चाहिए कि किसी को भी जल्दी से जल्दी ही सजा भी दी जा सके ? कहीं ऐसा न हो कि वर्तमान विधेयक की तरह उसके पास इतने अधिकार भी न हों कि वह किसी को सही समय से सजा दिलवाने में सदैव ही पीछे रह जाये ? कोई भी किसी भी स्तर का नेता क्यों न हो सबको भ्रष्टाचार के मामले में फसने पर एक तरह से ही निपटा जाये इसमें किसी को भी किसी भी तरह की कोई छूट नहीं दी जाये. जब तक इस तरह के मसले को समय बद्ध तरीके से निपटने के उपाय इस विदेयक में नहीं किये जायेंगें तब तक कुछ भी अच्छा नहीं हो पायेगा क्योंकि आज तक जो भी कानून हैं उनसे बचने के रस्ते भी इन नेताओं ने खूब निकल रखे हैं. अच्छा हो कि यह सरकार एक कड़ा कानून तो बना ही दे शायद उससे बाद में कभी यह हबी कहा जा सके इसी कानून ने देश से भ्रष्टाचार को हटाया ?
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विधेयक हो या न हो, ऊपर बैठे लोग ईमानदार हो जायेंगे, नीचे माहौल खुद ही बदल जायेगा..
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