मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

जूती चमकेगी, किस्मत दमकेगी.....


                              किसी भी व्यक्ति की कथनी और करनी में कितना अंतर होता है यह बात रविवार को मायावती के औरैया दौरे के दौरान देखने को मिली जब राष्ट्रपति पदक से सम्मानित डिप्टी एसपी पद्म सिंह ने अपनी जेब से रुमाल निकल कर मायावती की जूतियाँ साफ़ कीं ? कहने को तो मायावती को मनुवादी व्यवस्था से बहुत चिढ़ है पर सम्मान करने की मनुवादी परंपरा उन्हें बहुत अच्छी लगती है ? यह सही है कि वे दलितों के लिए बहुत सम्मानित हैं पर आधिकारिक ड्यूटी पर लगे हुए सुरक्षा अधिकारी से क्या यह अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी नेता की जूतियाँ अपनी जेब से रुमाल निकाल कर सार्वजनिक स्थल पर ही साफ़ करने लगें ? यह सही है कि माया की कृपा से ही इन पद्म सिंह को सेवा विस्तार मिला है पर इसका मतलब यह तो नहीं है कि वे अपने पद की गरिमा को ही भूल जाएँ ?
                              किसी भी व्यक्ति के लिए अपनी नौकरी बहुत महत्वपूर्ण होती है पर पद्म सिंह ने जिस तरह से हर गरिमा को तक पर रख दिया वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है ? अगर उन्हें जूतियाँ साफ़ करने का इतना ही शौक है तो उन्हें सेवा विस्तार लेने के स्थान पर सरकार में कोई पद ले लेना चाहिए था जिससे उनकी धमक बहुत बढ़ जाती और मायावती की जूतियाँ वे उनके सेवक होने के कारण हर समय साफ़ कर सकते थे ? कानपुर निवासी इस अधिकारी के जलवे के कारण पूरे सरकारी अमले में इनकी भी धमक है. ये पिछले १८ वर्षों से मायावती के सुरक्षा अधिकारी रहे हैं  और अब पुलिस अधिकारी कम और बसपा के कार्यकर्ता अधिक नज़र आते हैं ?
                               एक बात और जो सबसे महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के प्रदर्शनों से मायावती आख़िर क्या दिखाना चाहती हैं ? क्या वे सारी नौकरशाही को यह दिखाना चाहती हैं कि सब उनके जूते के नीचे हैं ? जब चाटुकारिता ही सेवा की परिभाषा बन जाए तो इस तरह की बातें तो दिखाई ही देंगीं ? आख़िर जिस मानसिकता का विरोध करते हुए मायावती नहीं थकती हैं उन्हें वहीं सारी परम्पराएँ आख़िर क्यों अच्छी लगती हैं ? आख़िर वे किस तरह की बराबरी दिखाना चाहती हैं सभी जानते हैं कि मायावती को भी चरण वंदना करवाने में बहुत अच्छा लगता है  क्योंकि उनके बिना चाहे कोई भी उनके पैर नहीं छू सकता है ? फिर भी यह एक तरह से शोध का विषय हो सकता है कि आख़िर लोग इस तरह से व्यवहार क्यों करते हैं और हो सकता है कि आने वाले समय में इस तरह की बातों पर कोई वैज्ञानिक शोध भी हो जाये पर फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि बेटा जूते चमकाओगे तभी किस्मत चमकेगी .......
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

7 टिप्‍पणियां:

  1. मयावती साफ दिखाना चाहती है कि हीनता से ग्रसीत एक कुंठीत महिला है। मनुवाद का विरोध करने वाली वैसी महिला खुद मनुवादी हो गई है।

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  2. चमचागीरी ने भारत की राजनीति को रसातल में पंहुचा दिया है जब इंदिरा गाँधी के बेटे संजय के जूते उठा कर नारायण दत्त तिवारी ऊँचे पदों पर जा सकते है तो इस परंपरा का पालन आगे बढकर जूते साफ करने से क्यों न किया जाये

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  3. "एक बात और जो सबसे महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के प्रदर्शनों से मायावती आख़िर क्या दिखाना चाहती हैं ?"

    रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग ..........

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  4. Saahil par khade hokar sagar ko gariyana bahut aasaan hai lekin tufaan me fanse log sab bhool jaate hain... kya aap poorn roop se nishchint hain ki ye sab uski duty ka hissa nahin tha? agar helicopter me chadhte waqt usi keeechad ki wajah se Mayawati girti aur use chot lagti tab aap us security guard ko dosh na dete? uski kartavya-nishtha par sawaal nahin uthaate?
    us samay kahan jaate hain hum sab jab sonia ke talvon tale kitne hi bade-boodhe congressmen pade rahte hain.. tab kahan the jab varishth congressiyon me Rajiv aur Indira ke joote-chappal haath me lekar chalne ki hod lagee rahti thi?

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  5. येही तो समस्या हैं , हमारे अधिकारी आज कल इतने गिर चुके हैं कि बस उस का जबाब नहीं हैं. नौकरशाही ने ही नेतावो को सर पर चढ़ा रखा हैं.

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